एम्फ़ैटेमिन नाम ड्रग्स है जीवन के लिए खतरनाक, शौकीन नौजवान हो रहे शिकार
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आजकल बड़ी-बड़ी पार्टियों में नशे की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए कई तरह के नशीले पदार्थों बाजार में आ गए हैं, जिनको नए नए युवक व युवतियां शौक के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। बाद में धीरे धीरे यह उनकी आदत बनती जाती है।
इतना ही नहीं नशीले पदार्थों का उपयोग करने वाले जब महंगे ड्रग्स को नहीं खरीद पाते हैं तो विभिन्न प्रकार की दवाईयों का प्रयोग नशे के रूप में करने लगते हैं। धीरे धीरे उन दवाओं की या उनमें पाए जाने वाले तत्वों की तस्करी होने लगती है।
डीआरआई की ओर से बरामद की गई एम्फैटेमिन नाम ड्रग इसी बात का उदाहरण है। सूत्र बताते हैं कि तरह के नशीले पदार्थों की जड़ें पूर्वांचल के कई जिलों में भी फैल चुकी है। जिसमें प्रमुख रुप से वाराणसी, इलाहबाद और गोरखपुर जिले शामिल है। इस बरामदगी के बाद कई टीमें इनके आगे के नेटवर्क को खंगालने में जुट गई है।
कहा जा रहा है कि बाजार में नशीले पदार्थ के रूप में प्राकृतिक तौर पर मिलने वाले पदार्थ में गांजा सबसे सस्ता पदार्थ है। कोकीन कोका पौधे की पत्तियों से बनता है। जिसकी अंर्तराष्ट्रीय बाजार में कीमत पचास लाख रुपये प्रति किलो की है। वहीं हेरोईन अफीम के पौधे से तैयार की जाती है। अंर्तराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत दो करोड़ रुपये किलो से अधिक की है। महंगे होते नशे के बीच दवाईयों का इस्तेमाल नशे के लिए होने लगा है।
सूत्र बताते हैं कि तस्कर इस तरह की दवाईयों को दवाओं के बड़े बाजारों से मिलीभगत के आधार पर एकत्र कर इसकी आपूर्ति कर रहे हैं। डीआरआई ने मंगलवार की रात दक्षिण भारत के एक गिरोह के कब्जे से एम्फ़ैटेमिन नाम ड्रग बरामद की है, जो कि एक केमिकल कम्पाउंड है। यह इंसान के नर्वस सिस्टम पर कार्य करता है। इसका इस्तेमाल भी नशे के लिए होने लगा है। ऐसे में पूर्वांचल में वाराणसी, इलाहबाद और गोरखपुर दवाओं के बड़े मार्केट हैं। इस बरामदगी के बाद से यहां के बाजार टीम के निशाने पर हो सकते हैं।