अभिमन्यु सिंह ने की खास अपील, बताया कैसे चुना समाजसेवा व राजनाति का क्षेत्र
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चंदौली जिले के भाजपा जिलाअध्यक्ष अभिमन्यु सिंह ने अपने 58 वें जन्मदिन के अवसर पर चंदौली समाचार से खास बातचीत की और जनपदवासियों को एक खास संदेश दिया। अपने राजनीतिक करियर व समाजसेवा की खास बातों का जिक्र करते हुए कहा कि दीन दुखियों व जरूरतमंदों की मदद करना हर राजनेता का पहला धर्म होना चाहिए।
पारिवारिक परिचय
चंदौली जिले के सदर ब्लॉक कि बिसौरी गांव के निवासी स्वर्गीय वासुदेव सिंह जी के पुत्र के रूप में अभिमन्यु सिंह ने 27 जून 1964 को जन्म लिया। इनकी माता का नाम पानपत्ति देवी है। बताते हैं कि इनके लालन-पालन में इन्हें संस्कारों की शिक्षा मिली, जिसका आज भी सहृदय से पालन करने का काम करते हैं।वह बताते हैं कि इनकी मां, पत्नी वह बेटियों के प्रेरणा से लोगों की सेवा व राजनीतिक सेवा के प्रति जुड़ते चले गए और अब वह भाजपा के जिला अध्यक्ष के रूप में लोगों की सेवा करने का कार्य कर रहे हैं।
इनका मानना है कि सबसे पहले मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। आज भी अपने मां को आदर्श के रूप में हमेशा पूजते रहते हैं। इनके पिताजी बिहार सरकार में संयुक्त विधिक सचिव के पद पर कार्यरत थे और इनकी शिक्षा पटना में हुई। पिता के रिटायर होने के बाद यह अपने गांव आए और गांव में लगने वाली शाखाओं में जाना शुरू किए और वहीं से इन्हें भाजपा के प्रति लगाव बढ़ता गया।
राजनीतिक सफर
धीरे धीरे इनकी रूचि एबीपी के बाद संघ की शाखा में जाने पर भाजपा की तरफ रुचि हुई। इन्होंने 1991 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली और 1993 में बूथ अध्यक्ष के पद पर कार्य किया। फिर इन्होंने शमशेर सिंह जिला अध्यक्ष के नेतृत्व में 1999 में किसान शाखा के जिला मंत्री रहे। उसके बाद 2004 और 2005 में सदर मंडल अध्यक्ष बनाए गए। पहले सदर में एक ही मंडल अध्यक्ष होता था फिर यह 2007 में जिला कार्यकारिणी के सदस्य बने तथा उसके बाद वनवासी कल्याण आश्रम के जिला मंत्री चंदौली के रूप में कार्य किया।
2016 में वह सर्वेश कुशवाहा के नेतृत्व में जिला महामंत्री के पद पर आसीन हुए। उसके बाद जनवरी 2020 भाजपा के जिला अध्यक्ष बने।
जन्मदिन पर लोगों को यह संदेश
उन्होंने अपने 58 वें जन्मदिन पर लोगों को यह संदेश दिया कि गरीबों की सेवा करना परम धर्म है। यह गुण उन्हें माताजी से प्राप्त हुआ है। उनकी बहुत याद आती है और उनका लक्ष्य है कि जब तक पंडित दीनदयाल जी का सपना पूर्ण नहीं होता है, तब तक वह समाज की सेवा करें। हर गरीब आदमी का उनके द्वारा उत्थान के लिए कार्य किया जाय।
पत्नी व बच्चे
अपने परिवार का परिचय देते हुए बताते हैं कि इनकी पत्नी का नाम सुषमा सिंह है। यह शुद्ध रूप से गृहणी हैं। इनकी दो संतानें हैं। दोनों बेटियों में एक का नाम हर्षिता सिंह है। यह स्टेट बैंक में कार्य करती है। दूसरी बेटी का नाम अदिति सिंह है। वह एम.ए. B.Ed के बाद पीएचडी की तैयारी कर रही है।
जन्मदिन पर जाते हैं बालाजी के पास
सबसे बड़ी खास बात है कि वह जब से अपना दायित्व संभाले तब से अपना जन्मदिन तिरुपति बालाजी के चरणों में मनाने का काम करते हैं और लगभग 32 वर्षों से अपने जन्म दिन पर तिरुपति बालाजी जाकर मत्था टेक आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।