चिकनगुनिया के लक्षण, कारण और इलाज के तरीके - डा•विवेक सिंह
 

चन्दौली स्थित हरिओम हॉस्पिटल के फिजीशियन डॉक्टर विवेक सिंह का कहना है कि चिकनगुनिया एक वायरल बीमारी है, जो एडिस नामक मच्छर (aedes mosquito) के काटने से फैलता है। बरसात के मौसम में यह बीमारी फैलने का खतरा अधिक रहता है।
 

चिकनगुनिया एक वायरल डिजीज है, यह वायरस इंसानों में एडिस नामक मच्छर के काटने फैलता है। चिकनगुनिया से प्रभावित मरीजों में अचानक तेज बुखार आना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, थकान, मतली और स्किन पर चकत्ते पड़ने जैसे लक्षण दिखते हैं।

चिकनगुनिया के कारण

चन्दौली स्थित हरिओम हॉस्पिटल के फिजीशियन डॉक्टर विवेक सिंह का कहना है कि चिकनगुनिया एक वायरल बीमारी है, जो एडिस नामक मच्छर (aedes mosquito) के काटने से फैलता है। बरसात के मौसम में यह बीमारी फैलने का खतरा अधिक रहता है। दरअसल, मानसून में मच्छरों के पनपने का खतरा अधिक होता है। जिसमें एडिस इजिप्ती और एडिस एल्बोपिक्टस मच्छर भी काफी मात्रा में पनपते हैं, इन संक्रामक मच्छरों के काटने से चिकनगुनिया वायरस तेजी से फैलता है। एडिस मच्छर के काटने के करीब 4 से 6 दिनों के बाद इसके लक्षण दिखते हैं। यह मच्छर आमतौर पर दोपहर या दिन के समय है। चिकनगुनिया के मच्छर घर से ज्यादा बाहर काटते हैं। हालांकि, ऐसा नहीं है कि वे घर में पैदा नहीं होते हैं। घर के अंदर भी इस मच्छर के पैदा होने की संभावना होती है।

चिकनगुनिया के लक्षण

चिकनगुनिया का शुरुआती और पहला लक्षण आमतौर पर बुखार होगा, उसके बाद मरीज के शरीर पर दाने नजर आते हैं। संक्रमित मच्छर के काटने के बाद बीमारी की शुरुआत लक्षण आमतौर पर 4 से 8 दिनों के बाद होती है। हालांकि, इसके लक्षण 2 से 12 दिनों में भी दिख सकता है। इसके अलावा चिकनगुनिया के लक्षण निम्न हो सकते हैं।

॰ अचानक तेज बुखार (आमतौर पर 102 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर)
॰ सिरदर्द
॰ जोड़ों का दर्द
॰ मांसपेशियों में दर्द
॰ अर्थराइटिस की समस्याएं
॰ आंखों से पानी आना
॰ मतली और उल्टी जैसा अनुभव होना।
॰स्किन पर लाल रंग के धब्बे होना।
॰ हड्डियों में दर्द इत्यादि।

चिकनगुनिया का निदान

चिकनगुनिया के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। डॉक्टर चिकनगुनिया का निदान करने के लिए सबसे पहले आपका शारीरिक परीक्षण करेंगें। टेस्ट में आईजीएम और आईजीजी एंटी-चिकनगुनिया एंटीबॉडी की उपस्थिति की पुष्टि की जा सकती है।

चिकनगुनिया वायरस एंटीबॉडी आमतौर पर बीमारी के पहले सप्ताह के अंत में विकसित होते हैं। आईजीएम एंटीबॉडी का स्तर बीमारी की शुरुआत के तीन से पांच सप्ताह बाद हाई होता है और लगभग दो महीने तक बना रहता है।

इसके अलावा डॉक्टर आरटी-पीसीआर ब्लड टेस्ट भी करा सकता है। हालांकि, इस टेस्ट को चिकनगुनिया से प्रभावित होने के सप्ताहभर के अंदर कराया जाता है।

चिकनगुनिया का इलाज

चिकनगुनिया का कोई प्रभावी इलाज नहीं है यानी अभी तक इस बीमारी के लिए दवाई और टीका उपलब्ध नहीं है। हालांकि, इसके लक्षणों को कम करके चिकनगुनिया का इलाज करने की कोशिश की जाती है। जैसे -

बुखार कम करने के लिए बुखार की दवाइयां
शरीर में दर्द को कम करने के लिए दर्द की कुछ दवाइयां दी जाती हैं।
मरीज को अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करने  की सलाह दी जाती है।
मरीज को आराम करने की सलाह दी जाती है। ताकि शरीर में हो रही कमजोरी को दूर किया जा सके।

चिकनगुनिया का बचाव

चिकनगुनिया का कोई प्रभावी इलाज उपलब्ध नहीं है। ऐसे में डॉक्टर लोगों को इस बीमारी से बचने की सलाह देते हैं।  जिसके लिए आपको कुछ टिप्स फॉलो करने की आवश्यकता होती है। जैसे-

मानसून के समय अपने शरीर को पूरी तरह से ढककर रखें।
॰ दरवाजे और खिड़कियों को बंद करके रखें।
॰ सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
॰ बच्चों को बाहर भेजते समय दस्ताने और फुल   बाजू के कपड़े पहनाएं।
॰ अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करें।
॰ बच्चों को साग-सब्जियां और फल खिलाएं और स्वयं भी बेहतर डाइट फॉलो करें।
॰ चिकनगुनिया से बचाव ही इसका बेहतर इलाज हो सकता है। इसलिए मानसून के समय पर अपने शरीर को ढककर रखें। मच्छरदानी लगाकर सोएं। बच्चों को बाहर जाने से रोकें। वहीं, अगर आपके शरीर में किसी तरह का बदलाव नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ताकि चिकनगुनिया के गंभीर लक्षणों से बचा जा सके।