नागपंचमी को भी फीका कर गया कोरोना, नहीं दिखी पहलवानों की नूराकुश्ती

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले में सावन महीना आते ही त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है। इसी कड़ी में शनिवार को जनपद में नागपंचमी का पर्व परम्परागत तरीके से मनाया गया। हालांकि कोरोना काल में अखाड़े सुने रहे और पहलवानों ने दांव-पेंच से दूरी बनाए रखी। वहीं दर्शक भी अबकी बार पहलवानों की नूराकुश्ती देखने से महरूम
 

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चंदौली जिले में सावन महीना आते ही त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है। इसी कड़ी में शनिवार को जनपद में नागपंचमी का पर्व परम्परागत तरीके से मनाया गया। हालांकि कोरोना काल में अखाड़े सुने रहे और पहलवानों ने दांव-पेंच से दूरी बनाए रखी। वहीं दर्शक भी अबकी बार पहलवानों की नूराकुश्ती देखने से महरूम रह गए। हालांकि गांवों में झूला बच्चों, युवाओं व महिलाओं ने झूले का जमकर आनन्द लिया और कजरी गीत भी कुछ गांवों में सुनने को मिली।

मान्यता है कि पंचमी की पूजा के संबंध धन से जुड़ा हुआ है। सावन महीना आते ही त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है। नगर ही ग्रामीणों क्षेत्रों में शनिवार को नागपंचमी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया। हालांकि कोरोना काल में पहलवानों के दांव-पेच में संक्रमण लग गया है। इसके वाबजूद पहलवानों ने दाव पेंच आजमा तो बच्चों व लोगों ने झूले का भरपूर आनंद लिया।

 

मान्यता है कि पंचमी की पूजा के संबंध धन से जुड़ा हुआ है। शास्त्रों में माना गया है कि नाग देवता गुप्त धन की रक्षा करते हैं। इस कारण नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने से जीवन में धन-समृद्धि का भी आगमन होता है। इस दिन व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जिस व्यक्ति के कुंडली में कालसर्प दोष होता है उसे इस दोष से बचने के लिए नागपंचमी का व्रत करना चाहिए। नागपंचमी पर्व पर अखाड़े सजते थे तो पहलवान अपना दांव-पेंच लगाते थे। यह सब गुजरे जमाने की बात हो गई है।