स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वाचस्पति मिश्रा का रेलवे के मंडलीय लोको अस्पताल में निधन
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चंदौली जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 91 वर्षीय वाचस्पति मिश्रा का बुधवार की शाम रेलवे के मंडलीय लोको अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन की खबर मिलते ही परिजनों व शहरवासियों में शोक की लहर दौड़ गई। उनके कैलाशपुरी आवास पर शोक संवेदना व्यक्त करने वालों की भीड़ जुट गई। लोगों ने स्वतंत्रता सेनानी के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
बिहार के बख्तियारपुर पटना के मूल निवासी वाचस्पति मिश्रा ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया था। 1945 में बख्तियारपुर थाने को अपनी टोली के साथ मिलकर आग के हवाले कर दिया था। तत्कालीन थानेदार को भी मौत के घाट उतार दिया था। उन्हें ब्रिटीश हुकूमत में छह महीने तक जेल की भी सजा भुगतनी पड़ी। तीन महीने तक बख्तियापुर और तीन महीने पटना जेल में रखा गया था। पटना जेल में ही वाचस्पति मिश्रा की महात्मा गांधी से मुलाकात हुई थी। देश की आजादी के बाद उन्हें रेलवे में नौकरी मिल गई।
टुंडला से रेलवे की नौकरी की शुरुआत करने के बाद कई जगह सेवा दी। अंत में मंडलीय लोको अस्पताल पीडीडीयू नगर से फार्मासिस्ट के पद पर सेवानिवृत्त हुए। शहर के कैलाशपुरी में मकान बनवाकर परिवार के साथ रहते थे।
परिजनों ने बताया कि बुधवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई। लोको अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां शाम लगभग पांच बजे निधन हो गया। उनके बड़े पुत्र रजनीश मिश्रा एलबीएस पीजी कॉलेज में सीनियर क्लर्क के अलावा अन्य दो पुत्र राजकुमार व रमाकांत मिश्रा रेलवे में कार्यरत हैं।