अगर कई घंटे सोने के बाद भी बनी रहती है थकान, तो हो सकते हैं इडियोपैथिक हाइपरसोम्निया के शिकार

इस बीमारी से जूझ रहे लोग अक्सर सामान्य से अधिक लंबे समय तक सोते हैं, लेकिन जागने पर भी उन्हें सुस्ती और कंफ्यूजन महसूस होता है, जिसे 'स्लीप इनर्शिया' भी कहते हैं।
 

ऐसा होता है रेयर स्लीपिंग डिसऑर्डर 'इडियोपैथिक हाइपरसोम्निया' का खतरा

क्यों पूरी रात सोने के बाद भी रहती है कंफ्यूजन और लगातार नींद

न्यूरोलॉजिकल समस्या से जुड़ी है दिनभर की सुस्ती

IH से पीड़ित लोगों के लिए विशेषज्ञ ने बताई सही लाइफस्टाइल और सोने के स्थान की अहमियत

क्या आपके साथ ऐसा होता है कि पूरी रात पर्याप्त नींद लेने के बाद भी आप सुबह थका हुआ, सुस्त और भ्रमित (कंफ्यूज) महसूस करते हैं? अगर हां, तो यह सिर्फ सामान्य थकान नहीं हो सकती है। विशेषज्ञ इसे इडियोपैथिक हाइपरसोम्निया (Idiopathic Hypersomnia - IH) नामक एक दुर्लभ स्लीपिंग डिसऑर्डर (दुर्लभ नींद विकार) की वजह मानते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जिससे पीड़ित लोगों को भरपूर आराम करने के बाद भी लगातार नींद आती रहती है।

क्या है इडियोपैथिक हाइपरसोम्निया
इडियोपैथिक हाइपरसोम्निया एक न्यूरोलॉजिकल नींद से जुड़ी बीमारी है, जिसकी पहचान दिन में अत्यधिक नींद आने (Excessive Daytime Sleepiness - EDS) से होती है। इस बीमारी से जूझ रहे लोग अक्सर सामान्य से अधिक लंबे समय तक सोते हैं, लेकिन जागने पर भी उन्हें सुस्ती और कंफ्यूजन महसूस होता है, जिसे 'स्लीप इनर्शिया' भी कहते हैं।

इस समस्या से पीड़ित लोग लगातार थकान महसूस करते हैं। रात भर अच्छी तरह से सोने के बावजूद, उन्हें दिन के समय जागते रहने में मुश्किल होती है। ये बार-बार सोने की इच्छा महसूस करते हैं और कभी-कभी तो छोटी झपकी (Naps) लेने के बाद भी उन्हें तरोताजगी महसूस नहीं होती।

डायग्नोसिस में देरी और कारण
चूंकि इडियोपैथिक हाइपरसोम्निया के लक्षण अक्सर दूसरी नींद की बीमारियों (जैसे नार्कोलेप्सी) या मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं (जैसे डिप्रेशन या बाइपोलर डिसऑर्डर) के समान हो सकते हैं, इसलिए कई मरीजों को सही डायग्नोसिस मिलने में अक्सर देरी होती है। पिछली स्टडीज में तो यह भी बताया गया है कि IH, एपिलेप्सी (मिर्गी) या बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी बीमारियों से भी ज्यादा आम हो सकता है।

इसका असली कारण क्या है? इडियोपैथिक हाइपरसोम्निया का सही कारण अभी भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। साइंस डायरेक्ट डॉट कॉम में प्रकाशित 2024 की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, यह एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसका मतलब है कि यह मस्तिष्क के नींद और जागने के चक्र (Sleep-Wake Cycle) को नियंत्रित करने वाले सिस्टम में गड़बड़ी के कारण शुरू होती है। इस गड़बड़ी के कारण, पीड़ित व्यक्ति दिन के समय भी अत्यधिक नींद महसूस करता है।

इलाज और प्रबंधन
दुर्भाग्य से, इडियोपैथिक हाइपरसोम्निया का कोई ठोस या स्थायी इलाज अभी तक मौजूद नहीं है। हालांकि, रिसर्च रिपोर्ट सोने के सही स्थान, साफ-सुथरे बिस्तर और एक अच्छी जीवनशैली को प्रबंधन में अहम मानती है।

इलाज मुख्य रूप से लक्षणों को नियंत्रित करने (Manage) और मरीजों को अपने रोजमर्रा के काम (Daily Activities) करने में मदद करने पर केंद्रित होता है। इसमें अक्सर उत्तेजक दवाओं (Stimulant Medications) का उपयोग शामिल होता है जो दिन में जागते रहने में मदद करती हैं। इसके साथ ही, एक नियमित नींद कार्यक्रम (Regular Sleep Schedule) का पालन करना भी बहुत महत्वपूर्ण है।