नर्स व ANM हो रहीं प्रशिक्षित, मातृ व नवजात की करेंगी बेहतर देखभाल
 

 

चंदौली जिले में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने व प्रसव दौरान समुचित देखभाल के लिए स्वास्थ्य विभाग व न्यूट्रिशन इंटरनेशनल (एनआई) द्वारा नर्स व एएनएम को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस क्रम में दो दिवसीय प्रशिक्षण जिला संयुक्त चिकित्सालय में गर्भवती के प्रसव के दौरान व प्रसव पश्चात जन्मे नवजात के पूर्ण देखभाल के लिए जिले के सभी नौ ब्लॉकों की स्टाफ नर्स व एएनएम को प्रशिक्षिण दिया गया, जिससे वह माताओं एवं नवजात को गुणवत्तापूर्वक सेवाएं दी जा सकें। 


न्यूट्रिशन इंटरनेशनल की मंडलीय समन्वयक डॉ महिमा चौधरी ने कहा कि जिला संयुक्त चिकित्सालय में जिले के सभी ब्लॉक की स्टाफ नर्स व एएनएम को प्रशिक्षित किया जा रहा है । प्रत्येक पाली में 20 नर्स व एएनएम को ट्रेनिंग दी जा रही है। सेंटर ऑफ एक्सिलेंस के तकनीकी व आर्थिक सहायता द्वारा न्यूट्रिशन इंटरनेशनल ने जिला संयुक्त चिकित्सालय के प्रसव कक्ष में मदर केयर विंग की स्थापना की गई थी। जिसके तहत जो बच्चे समय से पूर्व व कम वजन वाले बच्चे का ठीक ढंग से विकास नहीं हो पाता है।


इसके साथ ही प्रसव दौरान उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) में जच्चा – बच्चा दोनों की जिंदगी जोखिम में होती है। इन परिस्थियों का कुशलतापूर्वक सामना करते हुए प्रसव करना चाहिए। जिससे जच्चा – बच्चा दोनों की जिंदगी को आसानी से बचाई जा सकें।


इस दौरान बीएचयू की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ ममता सिंह ने बताया कि पोस्‍टपार्टम हेमरेज (पीपीएच) प्रसव के बाद प्‍लेसेंटा निकालने के पश्‍चात अधिक खून बह जाए तो इस स्थिति को पोस्‍टपार्टम हेमरेज कहते हैं। ऐसे लक्षणों में शिशु के गर्भ से बाहर आने के बाद अत्‍यधिक और अनियंत्रित रूप से खून का बहाव होना, ब्‍लड प्रेशर कम होना, हृदय गति बढ़ना, दर्द और कमर दर्द रहना आदि शामिल है। इसके साथ ही प्लेसेंटा (गर्भनाल) से संबधित सभी बिन्दुओं के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई।

बीएचयू के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अभिषेक अभिनय ने बताया कि रेडियंट वार्मर (बच्चों की मशीन) की जानकारी दी गई । इस मशीन द्वारा बच्चों को गर्भाशय का अहसास कराकर उपचार किया जाता है। समय से पूर्व जन्में शिशु को इस उपचार द्वारा समय पूरा होने तक और बाद उन्हें सामान्य शिशु की तरह रखने का स्टाफ नर्स व एएनएम को प्रशिक्षण दिया गया।


शिशु की गृह देखभाल की भी पूर्ण जानकारी दी गई -  धात्री महिलाओं को खुद को साफ रखने व नवजात की सफाई का रखें ख्याल, नवजात को गोद में लेने का तरीका की जानकारी दें, नवजात को झटके और हिलाने से बचाने की जानकारी दें, नवजात को हवा में उछालने से बचाने की जानकारी दें, नवजात को शरीर से पूरे दिन में आठ घंटे तक चिपका कर रखें, नवजात को छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराने की जानकारी दें।  


कुशल चिकित्सकों द्वारा जच्चा - बच्चा दोनों कैसे स्वस्थ रहे, इसके लिए प्रसव उपरांत जच्चा – बच्चा के स्वास्थ्य संबधि विसंगतियों को दूर रखने के विषय में भी जानकारी दी गयी। इसके साथ ही चिकित्सकों ने अपनी उपस्थिति में कुछ प्रयोगों द्वारा स्थिति से अवगत कराया गया। जिससे प्रशिक्षिण को और ज्यादा कारगर बनाया जा सके।


डॉ अभिषेक ने कहा कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से यह प्रशिक्षिण बहुत ही कारगर साबित होगा।