शकरकंद में छुपा है कई गुणों का खजाना, सर्दियों में इसके सेवन वात-कफ होता है संतुलित 
 

आयुर्वेद में शकरकंद को अत्यधिक महत्व दिया गया है। इसका वैज्ञानिक नाम इपोमिया बटाटास है, और इसे अंग्रेजी में 'स्वीट पोटैटो' या कई स्थानों पर 'मीठा आलू' कहा जाता है।
 

इसलिए सुपरफूड कहा जाता है शकरकंद

व्रत का सात्विक आहार जो बीटा कैरोटीन से भरपूर है

जानें सेवन की सही विधि और त्वचा-बालों के लिए इसके फायदे

अक्टूबर का महीना आते ही बाज़ार में एक ऐसी जड़ वाली सब्ज़ी मिलनी शुरू हो जाती है, जो अपने मीठे स्वाद और अद्भुत पोषण मूल्य के कारण हर उम्र के लोगों के बीच लोकप्रिय है—यह है शकरकंद (Sweet Potato)। खाने में थोड़ी मुलायम और मिट्टी जैसी सुगंध वाली यह कंद, केवल एक मौसमी व्यंजन नहीं है, बल्कि यह गुणों का भंडार है, जिसका सेवन सर्दियों में शरीर को स्वस्थ और गर्म रखने के लिए विशेष रूप से फायदेमंद माना जाता है।

आयुर्वेद में शकरकंद का महत्व

आयुर्वेद में शकरकंद को अत्यधिक महत्व दिया गया है। इसका वैज्ञानिक नाम इपोमिया बटाटास है, और इसे अंग्रेजी में 'स्वीट पोटैटो' या कई स्थानों पर 'मीठा आलू' कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, शकरकंद वात और कफ दोषों को संतुलित करने में मदद करता है, जिससे शरीर में संतुलन बना रहता है।

विशेष बात यह है कि इसका स्वाद मीठा होने के बावजूद, यह सात्विक आहार की श्रेणी में आता है, जिसके कारण इसे व्रत या उपवास के दौरान भी खाया जा सकता है। इतना ही नहीं, शुगर के मरीज़ भी इसे सीमित मात्रा में सेवन कर सकते हैं, बशर्ते वे मात्रा का ध्यान रखें। शकरकंद सर्दियों में होने वाले आम संक्रमणों से शरीर को बचाने के साथ-साथ ऊर्जा का एक बेहतरीन स्रोत है।

पोषक तत्वों का पावरहाउस

शकरकंद को 'सुपरफूड' का दर्जा दिलाने वाले इसके पोषक तत्व हैं। यह कई आवश्यक विटामिन और खनिजों से भरपूर होता है:

बीटा कैरोटीन: यह तत्व शकरकंद में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर के लिए एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है।

विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स: शरीर के ऊर्जा उत्पादन और तंत्रिका तंत्र के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण।

विटामिन सी: रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बढ़ाता है और सर्दियों के संक्रमण से बचाता है।

आयरन: रक्त की कमी को दूर करने में सहायक।

पोटेशियम: यह खनिज हृदय के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।

पाचन और मूत्र संबंधी रोगों में लाभकारी

अगर आपको कब्ज की समस्या है या पेट साफ होने में परेशानी होती है, तो शकरकंद का सेवन आपके लिए एक प्राकृतिक उपचार हो सकता है। यह आंतों को साफ करने और पाचन शक्ति को दुरुस्त करने का काम करता है, जिससे पेट संबंधी कई शिकायतें दूर होती हैं।

शकरकंद यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) से बचाने में भी सहायक है। कई लोगों को पेशाब करते वक्त जलन होती है या खुलकर पेशाब नहीं आता है। ऐसे मामलों में, शकरकंद लाभकारी सिद्ध होता है। आयुर्वेद में इसकी जड़ का इस्तेमाल यूटीआई के उपचार में किया जाता है, लेकिन इसके फल का सेवन करके भी इन रोगों से राहत पाई जा सकती है। इसके लिए शकरकंद का सूप बनाकर सेवन करना एक प्रभावी तरीका माना जाता है।

त्वचा और हृदय के लिए फायदे

शकरकंद का सेवन केवल आंतरिक स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि बाहरी सुंदरता के लिए भी फायदेमंद है। इसमें मौजूद बीटा कैरोटीन त्वचा के काले धब्बों को हल्का करने और उन्हें दूर करने में मदद करता है, जिससे त्वचा में प्राकृतिक चमक आती है। यह बालों की चमक को भी बढ़ाता है।

सौंदर्य उपयोग: सेवन के अलावा, कच्ची शकरकंद को सिलबट्टे पर घिसकर उसका फेसपैक बनाकर लगाने से भी त्वचा को लाभ मिलता है।

इसके अलावा, शकरकंद में मौजूद पोटेशियम दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल (Bad Cholesterol) के स्तर को कम करके हृदय पर बनने वाले अनावश्यक दबाव को कम करता है, जिससे दिल की सेहत बनी रहती है।

सेवन की विधि

शकरकंद का सेवन विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है। इसे उबालकर या आंच पर भूनकर खाना सबसे लोकप्रिय और स्वास्थ्यवर्धक तरीका है। इसके सूप के रूप में सेवन से यूटीआई जैसी समस्याओं में विशेष लाभ मिलता है।