महिलाएं दूसरे को दे रही सहारा, बढ़ रहा है कारोबार और आजीविका का साधन
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चंदौली जिले में मिशन शक्ति अभियान के तहत चयनित चकियां विकास खंड के गरला (नईबस्ती) गांव निवासी रामलखन की पत्नी शांति विश्वकर्मा ग्रामीण महिलाओं के लिए रोल मॉडल बनने की मिसाल पेश कर रही है। एनआरएलएम के तहत स्वयं सहायता समूह का गठन कर परचून और शृंगार की दुकान खोलकर खुद और अपने परिवार के साथ ही गांव की अन्य महिलाओं को रोजगार दे रही हैं।
गरीबी की मार और आर्थिक संकट से जूझ रहे परिवार के लिए संजीवनी का काम कर रही है और दूसरी महिलाओं को काम के साथ साथ पैसे मिल रहे हैं, जिससे वह अपने परिवार की आजीविका चला सकती हैं।
निशा तिवारी ने भी शुरू किया काम
नियामताबाद ब्लॉक के सहजौर गांव की निशा तिवारी ने अगस्त माह में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्ययोजना के तहत छह लाख रुपये का लोन लेकर खुद का कारोबार शुरू किया। गांव में ही निशा तिवारी ने अगरबत्ती का छोटा-सा कारखाना की शुरुआत की है। कारखाने में आज दर्जनों की संख्या में ग्रामीण महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है। निशा की इस पहल से परिवार की भी आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगा है। गांव की अन्य महिलाओं को अगरबत्ती बनाने की ट्रेनिंग भी देती हैं।
आजीविका मिशन के फायदे
सकलडीहा ब्लॉक के कटसिल गांव की नीलम शर्मा के पति विजय विश्वकर्मा निजी काम कर गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे थे। इस पर नीलम शर्मा राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जुड़ गई। उन्होंने राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत गांव में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान के लिए आवेदन किया। प्रशासन की ओर से योजना के तहत कोटे की दुकान आवंटित कर दी गई। वर्तमान में नीलम शर्मा खुद व अपने परिवार की जरूरतों का बखूबी पूरा करने में सफल हो रही हैं।