बारावफात पर अकीदत व एहतराम से निकला ईद मिलादुन्नबी का जुलूस
 

जिसमें खिताब करते हुए मौलाना अब्दुल हलीम ने कहा कि आज ही के दिन मक्का में हजरत मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था। जिसकी खुशी सारे जहां में लोग जश्ने ईद मिलादुन्नबी के के नाम से मनाते हैं।
 

क्षेत्र में गूंजा 'सरकार की आमद मरहबा' का नारा

जुलूस के माध्यम से बच्चों ने समाज को अमन

चैन का दिया पैगाम

चंदौली जिले के शहाबगंज इलाके में  हजरत मुहम्मद साहब का जन्मदिन जश्ने ईद मिलादुन्नबी का त्योहार सोमवार को बड़े ही धूमधाम से  मनाया गया। ईद मिलादुन्नबी के मुकद्दस मौके पर क्षेत्र के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में बारावफात का जुलूस गांजे-बाजे और लाव लश्कर के साथ निकाला गया। सैकड़ों की संख्या में जुलूस में शामिल लोग इस्लामी झंडे और तिरंगे झंडे को हाथ में लेकर 'सरकार की आमद मरहबा' के नारे लगाते चल रहे थे।

 क्षेत्र के मदरसा गरीब नवाज बड़गावां व खालिलिया साबिरिया गौसूल उलूम अरबिक पब्लिक स्कूल सिहोरिया गांव से ईद मिलादुन्नबी का जुलूस निकला। इस अवसर पर उक्त जुलूस के माध्यम से बच्चों ने समाज को अमन- चैन का पैगाम दिया। इसी बीच युवाओं ने जगह- जगह रुक कर मोहम्मद साहब के नारे लगाए। जुलूस  बड़गांवा,ठेकहां,सिहोरिया, शहाबगंज होते हुए शिवपुर इसरौलिया से भ्रमण कर पुनः अपने नियत स्थान पर पहुंचा। जुलूस के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे।

मोहम्मद साहब को याद करते हुए लोगों ने एक दूसरे से गले मिलकर बारावफात की बधाइयां भी दीं।इस दौरान लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला। छोटे छोटे बच्चे भी बड़े ही उत्साह के साथ हाथों में झंडे लिए जुलूस में चल रहे थे। जुलूस के दौरान जगह जगह बच्चों को नमकीन ,बिस्किट,पानी,शरबत और मिठाई बांटा गया।

ईद मिलादुन्नबी को लेकर मस्जिदों दरगाहों, घरों को फूलों, लाईटों, इस्लमिक झंडों व गुब्बारों से सजाया गया था। बारावफात के मौके पर शाम को बड़गावां व सिहोरिया मदरसे में परंपरागत तरीके से जलसे का आयोजन किया गया। जिसमें खिताब करते हुए मौलाना अब्दुल हलीम ने कहा कि आज ही के दिन मक्का में हजरत मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था। जिसकी खुशी सारे जहां में लोग जश्ने ईद मिलादुन्नबी के के नाम से मनाते हैं।

कहा कि पैगंबर मोहम्मद साहब ने लोगों के दिलों को जोड़ने का काम किया और इस्लाम हमेशा मोहब्बत, अमन और शांति का पैगाम देता है।इसलिए उनकी शिक्षा और जीवनी पर धार्मिक रहनुमा पर तकरीर किया जाता है ।हम हम सभी को उनके बताए हुए रास्ते पर चलना चाहिए।

इस दौरान कारी अली अकबर,जुनैद अहमद गुड्डू, हाफीज हसीब अहमद, मुस्लिम अंसारी,सबा परवीन, ज्ञानेश्वर यादव, महताब अहमद,अल्तजा हुसैन, फुजैल खां, आसिफ, इमरान, इमदाद अली, हारुन, तौफीक,इरफान,राकिब,इरफान,शहनवाज,ईलू ,अनीज,आकिब,आदिल,इरसाद,रिजवान ,सूफियान, पप्पू,सेगा,आदि लोग मौजूद थे।