कोरोना काल में खोज गए 27 नए कुष्ठ रोगी, 21 हुए ठीक
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चंदौली जिले में करीब 93 कुष्ठ मरीजों को विभाग की निगरानी में मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) की दवा दी जा रही है। वहीं अप्रैल 2021 से अब तक कुष्ठ रोग के कुल 21 मरीजों को ठीक किया जा चुका है।
इस सम्बन्ध में जिला कुष्ट रोग अधिकारी डॉ पी के चतुर्वेदी ने बताया कि जिले में अप्रैल 2021 से जून 2021 में नए 27 कुष्ठ रोगियों को पंजीकृत कर एमडीटी दी जा रही है। वहीं अप्रैल 2021 से अब तक कुष्ठ रोग के कुल 21 मरीजों को ठीक किया जा चुका है। साथ ही राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में जन जागरूकता की विभिन्न गतिविधियां की जा रही हैं । उन्होने कहा कि कोरोना काल में कुष्ट रोगियों को विशेष सावधानी बरतने आवश्यकता है। ऐसे कुष्ठ रोगी जिनके घाव हैं, उन्हें अपने घाव को साफ करके उसे साफ विसंक्रमित कपड़े से ढक कर रखें अन्यथा कोरोना का खतरा बना रहेगा।
डॉ तपेश्वर राम, नॉन मेडिकल सुपरवाइज़र, जिला कुष्ट रोग विभाग का कहना है कि कुष्ठ रोग माइक्रोवैक्टीरियमलैप्री नामक जीवाणु से होता है। यह साथ खाने उठने बैठने से नहीं फैलता है। यह आनुवांशिक एवं छुआछूत रोग भी नहीं है । समय से जांच और उपचार कराने से दिव्यांगता से भी बचा जा सकता है । कोरोना काल में ऐसे कुछ रोगियों को थोड़ी ज्यादा सावधानी रखने की आवश्यकता है, जिनके शरीर में खुला घाव है ।
डॉ राम ने कहा कि कुष्ठ रोगी कोरोना से बचने के लिए घर पर रहकर अच्छी तरह से देखभाल करें। कुष्ठ रोगियों को पैर सही रखने के लिए एमसीआर चप्पल तथा हाथ-पैर की देखभाल के लिए सेफ्टी किट, काटन, पट्टी, बी कामप्लेक्स, कैल्शियम की गोलियां दी जा रही है। कुष्ठ की बीमारी हवा में मौजूद वैक्टीरिया के माध्यम से फैलती है।
खांसने, छींकने से लेप्रै बैक्टीरिया हवा में मौजूद नमी के साथ सक्रिय कर खुद को विकसित कर लेता है और दूसरा व्यक्ति उस हवा में सांस लेकर नमी के उन कणों को अपने अंदर ले लेता है जिससे वह भी संक्रमित हो जाता है।
इसलिए सभी को जागरूक किया जा रहा है कि घर के आस-पास कोई व्यक्ति जिसकी आंखों से पानी आ रहा हो, हाथ पैर में छाले हो रहे हों, शरीर के कुछ हिस्से में गर्म ठंडे का अहसास नहीं हो रहा हो। ऐसी स्थिति में बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर (लेप्रेसी) कुष्ठ रोग का पता शुरुआती चरण में पता चलता है, तो रोग पर विजय पाना संभव हो होता है। छ: माह से एक साल के बीच इस बीमारी से निजात मिल सकता है।
लक्षण –
शरीर पर हल्के तांबा रंग के चकत्ते हो जाना, शरीर का कोई भी दाग धब्बा जिस पर सुन्नापन हो जाना, उसमें खुजली न हो, पसीना न आता हो, सुई लगने पर दर्द महसूस न होना, हथेली अथवा पैर के तलवे में भी सुन्नापन हो तो कुष्ठ की जांच अवश्य कराएं।
बचाव –
घाव को साफ करके उसे साफ विसंक्रमित कपड़े से ढक कर रखना चाहिए। खुले घाव में कोरोना का संक्रमण आसानी से अपना प्रभाव दिखा सकता है। ऐसे रोगियों को कुछ समय के अंतराल पर घाव पर ढके कपड़े को साबुन और गर्म पानी से धोकर धूप में सुखाना चाहिए । कुष्ठ रोग से बचाव के लिए चोट से बचें और घाव को साफ रखें। बच्चों में कुष्ठ रोग की संभावना वयस्कों से अधिक होती है, इसलिए बच्चों को हमेशा संक्रमित व्यक्ति से दूर रखें । कुष्ठ रोग को फैलने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि जल्द से जल्द इसका निदान कर इलाज किया जाए ।