योगीजी ऐसी समीक्षा से क्या फायदा, जब फरियादी की एफआईआर ही दर्ज न करे पुलिस
10 दिन से दौड़ रहा पिता, परिजन कर रहे त्रयोदशाह की तैयारी, थानेदार से लेकर एडीजी तक फरियाद का नहीं हुआ असर
एक तरफ चंदौली जिले में श्रम एवं सेवायोजन राज्य मंत्री मनोहर लाल उर्फ मन्नू कोरी जिले में बैठकर अधिकारियों के साथ जिले की विकास योजनाओं व कानून व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे तो वहीं एक मृतक का पिता एसपी से लेकर सीओ ऑफिस के चक्कर काट रहा था कि उसके बेटे की मौत की एफआईआर दर्ज हो जाए। इसके लिए वह थानेदार से लेकर एडीजी तक के चक्कर लगा चुका है, लेकिन बहाने बनाकर पुलिस एक जगह से दूसरी जगह दौड़ा रही है। पीड़ित के पिता ने अपनी दुखद कहानी चंदौली समाचार के साथ साझा की।
आपको बता दें कि चंदौली जिले के सैयदराजा थानाक्षेत्र के लोकमनपुर रेलवे क्रासिंग के समीप 25 जून को गाजीपुर जिले के जमानिया थानाक्षेत्र के प्रहलादपुर निवासी राम सिंह उर्फ संतोष का सिर कटा शव मिला था। इसी मामले में मृतक के पिता रामऔतार सिंह ने मुकदमा दर्ज कराने के लिए घटना की तहरीर लेकर दरबदर भटकने को मजबूर हैं। उसके पिता को हर अधिकारी केवल दूसरी जगह जाने की नसीहत दे रहा है।
फिलहाल आज भी मृतक के पिता व भाई सैयदराजा थाने में बैठकर पुलिस की कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं। वहीं सैयदराजा थाने की पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।
मृतक के पिता ने कहा कि वह तीन जिलों के थानों के चक्कर काटकर थक चुके तो सोशल मीडिया के सहारे अपनी बात एडीजी के पास पहुंचायी, पुलिस के लोग बुरा मान गए। जब सीधे एडीजी से मिलकर अपनी फरियाद सुनायी तो उन्होंने सैयदराजा थाने में एफआईआर दर्ज कराने का आदेश भेजने की बात मौखिक रूप से कही और उसके पत्र पर यह लिखकर भेज दिया कि विधिक कार्रवाई करें। अब सीओ सदर को यह समझ में नहीं आ रहा है कि इसमें विधिक कार्रवाई क्या करें..अब उनका कहना है कि वह पुलिस कप्तान से बात करने के बाद मामले में क्या हो सकता है वह देखने की कोशिश करेंगे। अब योगी की सरकार में पीड़ित को न्याय दिलाने के बजाय दौड़ाने का यह नया फंडा चर्चा का विषय बना हुआ है।
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मृतक के भाई ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय में चंदौली समाचार से बात के दौरान कहा कि कितनी बिडंबना है कि हम लोग अपने भाई के क्रिया कर्म करने के बजाय न्याय की आस में एफआईआर लिखाने के लिए थाने व पुलिस अफसरों के चक्कर काट रहे हैं। योगी सरकार में उन्हें ऐसी कानून व्यवस्था की उम्मीद नहीं थी।
पीड़ित के पिता ने तहरीर में लिखा है कि उनका बेटा संतोष 24 जून को गांव के उमेश सिंह के साथ वाराणसी के बड़ागांव गया, लेकिन बाद में सूचना मिली की वह लापता हो गए। अब जमानिया, बड़ागांव और सैयदराजा पुलिस एक दूसरे के उपर जिम्मेदारी थोपकर मुकदमा लिखने से बच रही है।
प्रहलादपुर के रहने वाले रामऔतार सिंह ने आरोप लगाया है कि 24 जून को गांव के उमेश सिंह के साथ संतोष उनकी बहन के गांव सेमरी (बड़ागांव) गया था, लेकिन रात में उमेश सिंह ने उनके छोटे बेटे श्याम सिंह को फोन करके बताया कि संतोष मोबाइल और बाइक छोड़कर कहीं चला गया है। सूचना के बाद परिवार के लोग किसी आशंका को लेकर सशंकित हो गए थे। परिवार के लोगों ने उनकी काफी खोजबीन की, लेकिन मालूम नहीं चल पाया। 25 जून को किसी परिचित ने फोन करके बताया कि संतोष का शव सैयदराजा थानाक्षेत्र के लोकमनपुर रेलवे क्रासिंग के पास पड़ा है। सूचना पर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
रामऔतार सिंह ने आरोप लगाया कि उमेश सिंह के जीजा अशोक सिंह और उनके बेटे भोलू सिंह ने नौकरी लगवाने के नाम पर तीन लाख रुपये लिए थे। जिसका तगादा करने के लिए उमेश के साथ संतोष भी बड़ागांव गया था। आरोप लगाया कि उमेश सिंह के बहनोई और भांजे ने साजिश के तहत संतोष की हत्या कर दी है। वहीं साक्ष्य मिटाने के लिए हत्या करके सैयदराजा के समीप शव को फेंक दिया है।
परिवार के लोगों का कहना है कि बड़ागांव की पुलिस मामले को सैयदराजा में दर्ज कराने बात कर रही है। जबकि सैयदराजा पुलिस मामले को जमानिया में दर्ज कराने का सुझाव दिया। वहीं जमानिया पुलिस आरोपियों के खिलाफ बड़ागांव में मुकदमा दर्ज कराने का सुझाव दे रही है।
इस मामले में पुलिस क्षेत्राधिकारी सदर रामवीर सिंह ने कहा कि मामले में वह पुलिस अधीक्षक से बात करके पीड़ित की मदद करने की कोशिश करेंगे। वहीं थानाध्यक्ष सैयदराजा ने आला अधिकारियों से बात करके मामले में कार्रवाई करने का रटा रटाया बयान दिया है।