छठ पूजा को लेकर महिलाओं में दिखा उल्लास, लोगों की उमड़ी भीड़
 

बिहार का तो यह सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जबसे सृष्टि बनी, तभी से सूर्य वरदान के रूप में हमारे सामने हैं और तभी से उनका पूजन होता रहा है। 
 

चंदौली जिला मुख्यालय-बबुरी रोड  स्थित ग्राम जसुरी में हनुमान मंदिर स्थित पोखरे पर महिलाओं बच्चों व छठ पूजा में आस्था रखने वाले लोगों का काफी जमावड़ा लगा रहा। लोग संध्या की अर्घ देने के लिए क्रमबद्ध होकर सूर्य देव के डूबने की प्रतीक्षा करके रहे और शुभ मुहूर्त में अर्घ देकर आज की पूजा संपन्न की। यहां साफ सफाई में इलाके के बीडीसी ने अपनी भूमिका निभायी।

कहा जाता है कि सूर्य उपासना का महापर्व छठ संतान प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। इस पर्व को मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। बिहार का तो यह सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जबसे सृष्टि बनी, तभी से सूर्य वरदान के रूप में हमारे सामने हैं और तभी से उनका पूजन होता रहा है। 

लोक कथाओं के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हारकर जंगल-जंगल भटक रहे थे, तब इस दुर्दशा से छुटकारा पाने के लिए द्रौपदी ने सूर्यदेव की आराधना के लिए छठव्रत किया। इस व्रत को करने के बाद पांडवों को अपना खोया हुआ वैभव प्राप्त हो गया था। 

भगवान राम के वनवास से लौटने पर राम और सीता ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन उपवास रखकर प्रत्यक्ष देव भगवान सूर्य की आराधना की और सप्तमी के दिन व्रत पूर्ण किया। सरयू नदी के तट पर राम-सीता के इस अनुष्ठान से प्रसन्न होकर भगवान सूर्यदेव ने उन्हें आशीर्वाद दिया था। 

छठव्रत की शुरुआत नहाय खाय व 'खरना' से होता है। इस दिन व्रती स्नान-ध्यान कर शाम को गुड़ की खीर-रोटी का प्रसाद खाते है। 'खरना' के बाद दूसरे दिन से 24 घंटे का उपवास आरंभ होता है। दिन में व्रत रखने के बाद शाम को नदी के किनारे सूर्यास्त के साथ व्रती जल में खड़े होकर स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देते हैं और सूर्यास्त के बाद ही घर लौटते हैं।