25 करोड़ रुपए कमा सकेंगे पूर्वांचल के मत्स्य पालक, अब शुरू होगा IFMT का निर्माण कार्य
70 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले IFMT का निर्माण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी की विकास परियोजनाओं की समीक्षा
अब पूर्वांचल के किसान मछली पालन से सालाना 25 करोड़ रुपए तक कमा सकेंगे। इसके लिए देश का पहला अत्याधुनिक एकीकृत मछली विपणन केंद्र (IFMT) चंदौली जिला मुख्यालय के समीप मंडी परिषद की एक हेक्टेयर जमीन में बनने जा रहा है। 70 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले IFMT का निर्माण कार्य पूरा करने की डेडलाइन दिसंबर 2023 रखी गई है।
IFMT के शुरू हो जाने के बाद सालाना 50 हजार से 75 हजार मीट्रिक टन मछली का व्यापार होने की उम्मीद है। इसके अलावा इस प्रोजेक्ट से हर साल 25 करोड़ रुपए मूल्य की 2500 मीट्रिक टन मछलियों का नुकसान बचाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को बीते दिनों राज्य सरकार की मंजूरी मिलते ही टेंडर जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
मीठे पानी के मत्स्य पालक राज्यों में देश में उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा उत्पादक है जो सालाना 7.5 लाख मीट्रिक टन मछलियों का योगदान देता है। पूर्वांचल मत्स्य पालन का केंद्र है और वाराणसी मंडल जलाशयों के मामले में बेहद समृद्ध है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में फिलहाल सालाना 2.5 लाख मीट्रिक टन मछली का उत्पादन होता है जिसे पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर पूर्वी राज्यों और नेपाल को भेजा जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी की विकास परियोजनाओं की समीक्षा के दौरान इस क्षेत्र से अन्य राज्यों में मछलियों के व्यापार के मसले पर सुधार कर गंभीरता से ध्यान देने की बात कही थी। यहां का अधिकांश मछली व्यापार चंदौली जिले के मुगलसराय और वाराणसी के आसपास बिखरा हुआ है और इसमें पर्याप्त बुनियादी ढांचे की कमी है। इसके चलते ग्राहक तक पहुंचने से पहले मछली उत्पादन में काफी नुकसान होता है। इसलिए, वैश्विक मानक के अनुसार अल्ट्रा-मॉडर्न फिश मार्केट सुविधा का होना जरूरी समझा गया।
मत्स्य विभाग के वाराणसी मंडल के उप निदेशक एनएस रहमानी ने बताया कि IFMT के लिए चंदौली स्थित कृषि विपणन समिति परिसर में चारों तरफ से सड़क कनेक्टिविटी वाली 1 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की गई है। यह जमीन दिल्ली-कोलकाता राजमार्ग पर चंदौली शहर से 3 किलोमीटर दूर और पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे जंक्शन से 16 किलोमीटर दूर है।
वहीं, वाराणसी शहर से जमीन की दूरी 32 किलोमीटर है। इसके अलावा यह जमीन लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 55 किलोमीटर दूर है। बता दें कि एयरपोर्ट पर खराब होने वाले कार्गो के लिए 5 मीट्रिक टन का कोल्ड हाउस है।
उप निदेशक मत्स्य ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को एक ही स्थान पर निर्यात-आयात, स्थानीय व्यापार, थोक बिक्री के साथ खुदरा के उद्देश्य को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। खेत से उपभोक्ता तक कोल्ड चेन बनाने के लिए प्रत्येक दुकान को डीप फ्रीजर से लैस किया जाएगा। प्रस्तावित परियोजना में एक्वैरियम मछली और उसके सामान के व्यापार के अलावा मछली बीज के व्यापार और एक छत के नीचे फीड, चिकित्सीय उपकरण, जाल और गियर के व्यापार की सुविधा के लिए एक अलग विंग भी होगी।
इस प्रोजेक्ट को न केवल व्यापार के लिए डिजाइन किया गया है, बल्कि उच्च प्रोटीन एक्वा खाद्य पदार्थों के लिए अधिक से अधिक लोगों को आकर्षित करने के लिए एक आधुनिक एक्वा फूड रेस्तरां भी यहां होगा। इस प्रोजेक्ट में भविष्य के लिए मछली प्रसंस्करण इकाई का भी प्रावधान है। प्रोजेक्ट के तहत सम्मेलन हॉल और प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी हॉल भी बनाया जाएगा।
प्रोजेक्ट में किसका कितना निवेश
APMC शेयर - 11.87 करोड़ रुपए
भारत सरकार शेयर - 30 करोड़ रुपए
राज्य सरकार शेयर - 20 करोड़ रुपए
पीपीपी के तहत निवेश - 8.13 करोड़ रुपए
कृषि उत्पाद विपणन समिति (APMC) प्रोजेक्ट के लिए 1 हेक्टेयर जमीन नि:शुल्क देगी।