आशा दीदी की बात समझ में आई, खुशहाली के लिए नसबंदी अपनाई
जिले में परिवार नियोजन अभियान, अब पार्वती खुद दूसरी महिलाओं को समझाती हैं, बच्चे दो ही अच्छे का कांसेप्ट आ रहा है काम
चंदौली जिले की सदर ब्लाक की 25 वर्षीया पार्वती के दो बच्चे (एक बेटा –एक बेटी) हैं। क्षेत्र भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ता किरण जब उनसे मिलीं तो पूरी पारिवारिक जानकारी हासिल करने के बाद पार्वती को परिवार नियोजन के फायदे के बारे में विस्तार से समझाया। बच्चों की अच्छी परवरिश और उनके सुनहरे भविष्य का भी वास्ता दिया तो यह बात पार्वती को अच्छे से समझ आ गयी।
पार्वती ने आशा दीदी के साथ पति से बात की तो उन्होंने पहले तो न-नुकुर की लेकिन जब इसमें उनकी ही भलाई की बात बताई तो उन्होंने भी हामी भर दी|इसके बाद स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पर उनको मुफ्त नसबंदी की सेवा दी गयी। नसबंदी अपनाने पर उन्हें दो हजार रुपये भी खाते में दिए गए। नसबंदी से उनको न कोई दिक्कत हुई और न कमजोरी की कोई शिकायत रही। अब पार्वती खुद ग्रामीण महिलाओं को यह समझाती हैं – बच्चे दो ही अच्छे।
इसी तरह इसी ब्लाक की दो बेटियों की माँ पूजा ने भी आशा कार्यकर्ता किरण के समझाने पर नसबंदी अपनाकर खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही हैं।
सदर ब्लॉक की आशा संगिनी एमपी यादव का कहना है कि उनकी निगरानी में 26 आशा कार्यरत हैं। इस साल जनवरी से अब तक इन 26 आशा कार्यकर्ताओं ने मिलकर पीपीआईयूसीडी की सेवा 329 महिलाओं को मुहैया करवाई। इसके अलावा 180 महिलाओं ने त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शनअंतरा को अपनाया। जिनके परिवार पूरे हो चुके थे उनमें से छह पुरुषों और 105 महिलाओं ने परिवार नियोजन के स्थायी साधन नसबंदी को अपनाया। परिवार नियोजन के अस्थायी साधन कंडोम व छाया गोली का भी वितरण किया गया। एमपी यादव ने कहा कि आशाओं के साथ मिलकर घर-घर छोटे परिवार के बड़े फायदे की बात पहुंचाई जा रही है।
यह बताया जा रहा है कि जल्दी-जल्दी गर्भधारण से मातृ मृत्यु दर बढ़ती है। इसीलिए हम आशाओं के जरिये उन्हें समझाते हैं कि शादी के कम से कम दो साल बाद ही बच्चे की योजना बनायें और दो बच्चों के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर जरूर रखें। इससे मां और बच्चा दोनों सेहतमंद बनेंगे। इससे आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है। मनपसंद परिवार नियोजन के साधनों के इस्तेमाल के लिए योग्य दंपति को परिवार नियोजन के स्थाई एवं अस्थायी साधनों के विषय में जागरूक भी करते हैं। इच्छुक लाभार्थियों को चिकित्सा इकाई पर परिवार नियोजन की सेवाएं प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया जाता है। लक्षित दंपति की काउंसिलिग कर उन्हें परिवार नियोजन के बास्केट आफ च्वाईस के माध्यम से सुविधा उपलब्ध कराते हैं.. जैसे - कॉपर-टी , अंतरा, छाया ,कंडोम, पुरुष नसबंदी बिना चीरा टांका ,महिला नसबंदी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वाई के राय का कहना है कि अभियान के तहत 1887 आशा कार्यकर्ता व 79 आशा संगिनी जनपद में घर-घर पहुंचकर अपने-अपने क्षेत्र के नव दंपति से संपर्क स्थापित कर उन्हें परिवार नियोजन और बच्चों के जन्म में अंतर के उपायों से अवगत करा रहीं है। लक्षित दम्पति को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाकर महिला एवं पुरूष नसवन्दी की सेवा प्रदान करवाने के साथ ही अस्थाई विधियों में निरोध, आई0यू0सी0डी0 तथा अन्तरा एवं छाया की सुविधा मुहैया करवा रहीं हैं।
लाभार्थियों को प्रतिपूर्ति भी-
सामुदायिक प्रक्रिया प्रबन्धक (डीसीपीएम) सुधीर राय ने बताया कि परिवार नियोजन साधन अपनाने पर लाभार्थियों को प्रतिपूर्ति राशि भी दी जाती है। इसमें पुरुष नसबंदी वाले लाभार्थियों को 3000 रुपये व महिला नसबंदी के लाभार्थियों को 2000 रुपये की प्रतिपूर्ति राशि दी जाती है। इसके साथ ही त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा के लाभार्थियों को प्रति डोज 100 रुपये दिया जाता है।
यह भी है प्राविधान
नसबंदी के विफल होने पर 60,000 रुपये दिए जाते हैं। नसबंदी के सात दिनों के अंदर मृत्यु होने पर चार लाख रुपए दिए जाते हैं। नसबंदी के 8 से 30 दिन के अंदर मृत्यु होने पर एक लाख रुपए दिये जाने का प्रावधान है। नसबंदी के बाद 60 दिनों के अंदर जटिलता होने पर इलाज के लिए 50,000 रुपए दिए जाते हैं।
आशा कार्यकर्ता को भी प्रोत्साहन राशि
आशा कार्यकर्ता को भी परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत प्रोत्साहन राशि दी जाती है – जैसे शादी के बाद पहले बच्चे के जन्म में दो साल का अंतराल रखने के लिए प्रोत्साहित करने पर 500 रुपये, दो बच्चों के जन्म में तीन वर्ष के अंतराल पर प्रोत्साहन के लिए 500 रुपये, दो बच्चों के तुरंत बाद नसबंदी पर 1000 रुपये, पीपीआईयूसीडी पर 150 रुपये आशा कार्यकर्ता को दिए जाते हैं। पुरुष नसबंदी पर 400 रुपये व महिला नसबंदी पर 300 रुपये और अंतरा इंजेक्शन पर 100 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दिये जाते हैं ।