बिरादरी में भारी मनोज सिंह डब्लू की यारी, हो गयी 2022 जीत की तैयारी
 

 चंदौली जिले में सैयदराजा विधानसभा का चुनाव चंदौली के साथ ही पूर्वांचल में चर्चा का केंद्र बिंदु बना हुआ है। ऐसा होना इसलिए लाजिमी है क्योंकि यहां दो दिग्गज आमने-सामने है।
 

मनोज सिंह W :अपने गौरव व सम्मान की लड़ाई लड़ रहे राजपूत

नहीं काम आएगी रंगबाजी व धमकी

 चंदौली जिले में सैयदराजा विधानसभा का चुनाव चंदौली के साथ ही पूर्वांचल में चर्चा का केंद्र बिंदु बना हुआ है। ऐसा होना इसलिए लाजिमी है क्योंकि यहां दो दिग्गज आमने-सामने है। एक तरफ जहां पैसा व पावर अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए जोर आजमाइश कर रहा है तो दूसरी ओर मनोज सिंह डब्लू जैसी शख्सियत अपनों की लड़ाई लड़ते दिख रहे हैं। रही बात बिरादरी की तो मनोज सिंह डब्लू की बिरादरी में पकड़ और पैठ काफी मजबूत हुई है। बिरादरी में उनकी यारी दूसरों पर भारी पड़ती नजर आ रही है। अबकी बार सैयदराजा की जनता डर, खौफ, धमकी व गुंडागर्दी वाली राजनीति का सफाया कर देगी और चंदौली को लूटने आए बाहरी लोग बाहर चले जाएंगे।


मनोज सिंह डब्लू का स्थानीय होने के साथ सरल-सुलभ व उनका सादगी भरा व्यक्तित्व उनकी बिरादरी से उन्हें जोड़ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। इसके साथ ही उन्होंने अपने कार्य व्यवहार से राजपूत होने की वास्तविक परिभाषा को जमीन पर उतारने का काम किया है। यही वजह है कि उनकी बिरादरी अब उन्हें आइकन मानने लगी है। साथ ही बिरादरी ने पैसे व पावर के प्रभुत्व को खुलेआम नकारना भी शुरू कर दिया है। लोगों का मानना है कि जो व्यक्ति सुख-दुख का भागीदार हो उससे अच्छा व्यक्ति कोई हो ही नहीं सकता है। ऐसे व्यक्तित्व को विधायक बनाकर जनप्रतिनिधित्व का अवसर प्रदान करना चाहिए।


देखा जाए तो सैयदराजा विधानसभा में अनुमानित 30 से 32 हजार राजपूत मतदाता हैं। पिछले बार वर्तमान विधायक समेत विनीत सिंह व मनोज सिंह डब्लू के चुनाव लड़ जाने से लगभग सभी वर्ग के वोटों का बिखराव हुआ। लेकिन अबकी बार फिजा बदली-बदली नजर आ रही है। स्थानीय लोगों की माने तो राजपूतों के साथ सत्ता-शासन का दुरुपयोग पिछले पांच सालों में काफी बढ़ा है। साथ ही गांव व पंचायत स्तर पर विवाद में भी हस्तक्षेप से कई मामलों ने तूल पकड़ा और तनाव के कारण सैयदराजा विधानसभा की धरती पर अशांति व अराजकता की स्थिति कायम हुई। 


उधर, दूसरी ओर चुनाव में हार के बाद भी अपनी मातृभूति व आवाम से मनोज सिंह डब्लू का जुड़ाव और प्रगाढ़ हुआ। यही वजह है कि आज गांव, गली मोहल्ले में उनके जयकारे की गूंज में अन्य नेताओं व दलों की हुंकार नगण्य प्राय हो गयी है। बात यदि राजपूत वोटों की करें तो मनोज सिंह डब्लू का पूरा का पूरा परिवार अपनी बिरादगी के वोटों में प्रेम, समर्पण व सौहार्द की किलेबंदी किए हुए है। जिसे पैसे व पावर के प्रभाव से तोड़ने की कवायदें भी हो रही है, लेकिन यहां प्रेम व संबंधों की डोर इतनी सशक्त है कि उसे तोड़ पाना अबकी बार मुश्किल ही नहीं नामुमकिन ना नजर आने लगा है। 

राजपूत वोटों के बाबत मनोज सिंह डब्लू ने स्पष्ट कहा कि उनकी बिरादरी के वे तमाम प्रबुद्ध व सुधिजन उनके साथ हैं जो राजपूत होने के असल मायने को आत्मसात कर उसके गौरव को आगे बढ़ा रहे हैं। कहा कि जनता को इज्जत देकर जो सम्मान अर्जित करे वही असली राजपूत है। एक राजपूत के कंधों पर मातृभूति की रक्षा के साथ-साथ दीन-हीन व दुखियों के साथ अबला नारी की रक्षा का भार होता है। 


कहा कि जो आवाम में सद्भाव व सद्विचार को स्थापित करे और आवाम की सुरक्षा व सम्मान के जिम्मेदारी को उठाए, वही राजपूत है। जो लोग पैसे व पावर के प्रभाव में आकर अराजकता, अपराध व अशांति फैलाने का काम कर रहे हैं वह लोग दूसरे हैं। जो लोग लड़ने व लड़ाने की विचारधारा का समर्थक हैं जनता ऐसे लोगों के कृत्य व मकसद को समझ चुकी है। अबकी बार बिरादरी अपने गौरव, मान-सम्मान के लिए खुद चुनाव लड़ रही है और बिना किसी डर-भर के गुलाम मानसिकता को शिकस्त देने का भी काम करेगी।