जनपद में एक भी सैम बच्चों के लिए इलाज की सामूहिक जिम्मेदारी, डॉक्टर-बीडीओ-सीडीपीओ की जिम्मेदारी
सभी आंगनवाड़ी केंद्रों को ठीक रखने के निर्देश
मूलभूत सुविधाओं से सुसज्जित रहें आंगनवाड़ी केन्द्र
चंदौली जिले की जिलाधिकारी ईशा दुहन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय पोषण मिशन अंतर्गत जिला कन्वर्जेन्स की बैठक कलेक्ट्रेट सभागार में संपन्न हुई। सर्वप्रथम जिलाधिकारी द्वारा पिछली बैठक में दिए गए निर्देशों के अनुपालन की समीक्षा करते हुए बैठक आरम्भ की गई।
बैठक में जिलाधिकारी ने जनपद के सैम श्रेणी के बच्चे, जो लाल श्रेणी में है, उनका बेहतर तरीके से इलाज करने, उनका रख-रखाव करते हुए उनको लाल श्रेणी से बाहर निकलने पर जोर देते हुए कहा कि ऐसा करना हम सबका दायित्व है। कोई भी बच्चा जो सैम श्रेणी में आ रहा है, वह किसी भी हालत में छूटने न पाए। उनको चिन्हित करते हुए उसका इलाज कराने तथा निर्धारित चार्ट के अनुसार पोषण आहार देने जरूरत पड़ने पर बच्चों को एनआरसी, पीएचसी, सीएचसी पर भेजें। जनपद में जो बच्चे सैम होने के बाद भी उनके परिवार के लोग इलाज नहीं करा रहे हैं तो उनके पास सीडीपीओ, एमओआईसी पंचायतीराज विभाग के कर्मी टीम बना कर ग्राम प्रधान के साथ उस परिवार से मिलें और बच्चे के इलाज के लिए प्रेरित कर इलाज के लिए एमआरसी में भर्ती कराएं।
परिवार को बच्चे भर्ती कर इलाज कराने में अगर कठिनाई हो तो उनकी कठिनाइयों को जानने की कोशिश करें। अगर आने जाने के लिए साधन उपलब्ध नहीं है तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित 108 एम्बुलेंस सेवा से भेजकर बच्चे का इलाज कराएं। अगर किसी सैम बच्चे का इलाज किसी अन्य अस्पताल से चल रहा हो तो उनके परिवार के सदस्य से फोन से बात कर जानकारी प्राप्त करें। साथ ही उसकी पूरी जानकारी रखें कि उसका इलाज किस अस्पताल से चल रहा है और किस तरह का चल रहा है। इन सारी बातों का निर्देश जिला प्रोबेशन अधिकारी को दिया।
बैठक के दौरान रेफर सैम बच्चों को एनआरसी द्वारा भर्ती न लिए जाने का मामला सामने आया, जिस पर जिलाधिकारी नाराजगी व्यक्त करते हुए उन सभी बच्चों का फिर से जॉच कराते हुए रेफर करने के लिए कहा।
जिले के सभी एमओआईसी अपने सेंटर पर सैम बच्चों का एक अलग से रजिस्टर रखेंगे और उसमे सैम बच्चों से संबंधित हर जानकारी रखनी होगी। जैसे वजन, दवा, स्वास्थ्य में सुधार इत्यादि जानकारी। सभी एमओआईसी, सीडीपीओ तथा खण्ड शिक्षा अधिकारी अपने अपने क्षेत्र में सैम बच्चों को चिन्हित करते हुए उनका इलाज कराएंगे और आशा तथा आंगनवाड़ी हर महीने में दो गृह भ्रमण करेंगी। साथ ही पोषण चार्ट तैयार रखेगी। जो सैम बच्चे स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं, उनके परिवार को देते हुए उन्हें समझाने की कोशिश करेंगी। किशोरियों को आयरन की गोलियां भी दी जानी चाहिए।
जिलाधिकारी ने कहा कि आंगनवाड़ी केन्द्र निर्माण कार्य में क्वालिटी का विशेष ध्यान देने की जरूरत है। सीडीपीओ महीने में 2 बार आगनवाड़ी केंद्रों का निरीक्षण अवश्य करें और देखें कि वहां पर मैत्री शौचालय, बच्चों के लिए टेबल, मेज है कि नहीं। जिलाधिकारी ने जितने स्कूलों में आगनवाड़ी केंद्र बने हैं वहां पर बिजली की व्यवस्था हेतु बीएसए को निर्देश दिया है। ताकि आंगनवाड़ी केंद्रों पर सभी मूलभूत सुविधाओं से सुसज्जित रहे।
बैठक के दौरान मुख्य चिकित्साधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी (बाल विकास), समस्त सीडीपीओ सहित अन्य संबंधित अधिकारी गण उपास्थित रहे।