गर्भावस्था में पोषण का रखें विशेष ख्याल, नहीं तो मां-बच्चे को होता है टीबी होने का खतरा
पोषण की कमी से गर्भवती को हो सकती है टीबी
गर्भ में पल रहे शिशु को भी है बड़ा खतरा
इसलिए जरूरी होता है इन बातों का ध्यान
चंदौली जिले में गर्भावस्था के दौरान गर्भवती को पोषण के प्रति सतर्क रहने व कुछ बातों का ध्यान देने के लिए जागरुक किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस दौरान गर्भवती को टीबी होने का जोखिम बना रहता है, जिसका असर भ्रूण पर भी पड़ सकता है। ऐसे में अगर किसी गर्भवती को टीबी यानि तपेदिक रोग हो जाए, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। लिहाजा गर्भावस्था के दौरान गर्भवती के शरीर में हो रही हर छोटी–बड़ी समस्या के प्रति सचेत रहने की जरूरत होती है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राजेश कुमार का कहना है कि गर्भवती के पौष्टिक भोजन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि गर्भ में पल रहा शिशु और मां दोनों सुरक्षित रहें। ऐसा न करने वाले लोग मां-बच्चे दोनों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राजेश कुमार बताते हैं कि जिले में जनवरी 2022 से लेकर अब तक 12 गर्भवती को टीबी चिन्हित हुयी है, जिनका इलाज किया जा रहा है।
चकिया ब्लॉक की 22 वर्षीय रितु देवी चार माह की गर्भवती है। रितु बताती है कि अगस्त माह से बहुत ज्यादा ख़ासी और बुखार बना रहता था। पति के साथ 22 अगस्त 2022 को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गए। वहां ख़ासी और नियमित बुखार होने की जानकारी दी। जब बलगम की जांच हुई तो टीबी होने का पता चला। टीबी की पुष्टि होने पर बहुत घबरा गयी थी कि कही बच्चे को कुछ न हो जाये। डॉक्टर से बात की तो उन्होंने बताया कि घबराने की कोई बात नहीं है। टी.बी की दवा लगातार छह महीने तक खानी है और खाने पर बहुत ध्यान देने के लिए कहा। पोषण के लिए निक्षय पोषण योजना से जोड़ा गया जिसके माध्यम से 500 रुपये प्रति माह बैंक खाते में भी आ रहे है। मैं अपनी दवाएं रोज़ ले रही हूँ और हर महीने जांच के लिए सीएचसी पर भी जाती है।
चकिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की महिला चिकित्सा अधिकारी डॉ अंशुल सिंह ने बताया कि गर्भावस्था में उचित पोषण की कमी से गर्भवती को टीबी होने कि संभावना अधिक रहती है। जिससे इलाज की प्रक्रिया थोड़ी जटिल हो जाती है। इसके साथ ही भ्रूण के विकास में बाधा उत्पन्न होती है। साथ ही बच्चे का जन्म, समय से पूर्व हो सकता है। बच्चे के वजन व शारीरिक विकास पर भी असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि गर्भावस्था के दौरान किसी तरह की बाधा न आए इसके लिए बेहद महत्वपूर्ण है कि गर्भावस्था के दौरान भोजन में पौष्टिक तत्वों को शामिल करें। गर्भावस्था के दौरान टीबी होने पर मां को सही उपचार मिले तो बच्चा स्वस्थ पैदा होता है और अगर इलाज देरी से शुरू होता है, तो मां से शिशु को भी टीबी हो सकता है। साथ ही माँ और शिशु को जान का खतरा हो सकता है।
इस तरह लें पौष्टिक आहार
1. टीबी में अक्सर विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन बी काम्प्लेक्स की कमी हो जाती है। टीबी को ठीक करने के लिए इनके स्तर को सामान्य स्तर पर लाना बहुत आवश्यक होता है।
2. अमरूद और आंवला विटामिन सी की कमी को पूरा कर सकते हैं, क्योंकि इनमें विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं।
3. साबुत अनाज में विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स और फाइबर मौजूद होते हैं, जो आपको उर्जा प्रदान करते हैं।
4. इससे टीबी के दौरान होने वाली सुस्ती और थकान से राहत मिलती है।
5. गर्भावस्था के दौरान संतुलित आहार खाएं, इससे टीबी कि बीमारी को कम समय में ठीक किया जा सकता है।
6. टीबी से ग्रसित मरीज को एकसाथ खाने के बजाय थोड़ा-थोड़ा खाते रहना चाहिए।
7. हरी सब्जियां गर्भावस्था में टीबी के मरीज को खाने में सभी सब्जियां शामिल करनी चाहिए।
8. खासतौर से हरी और पत्तेदार सब्जियों का सेवन बेहद जरूरी होता है।
9. ब्रोकली, गाजर, टमाटर, शकरकंद जैसी सब्जियां खूब खानी चाहिए। इन सब्जियों में एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर होते हैं।
10. दूध को सुबह, शाम और रात तीनों टाइम भोजन के साथ लें। दूध ताजा हो, हल्का गर्म कर सकते हैं।
टीबी के लक्षण
1. गर्भवती का वजन बहुत कम होना।
2. थकान व सांस फूलना।
3. बुखार, तीन हफ्तों से ज्यादा खांसी, खांसी में खून आना।
4. खांसते या सांस लेते हुए सीने में दर्द होना।
5. अचानक वजन घटना, ठंड लगना, सोते हुए पसीना आना।
गर्भावस्था में टीबी के खतरे
1. जन्म के समय शिशु का वजन कम होना।
2. टीबी के कारण शिशु का समय से पहले जन्म।
3. शिशु को जन्म के समय टीबी इंफेक्शन से संक्रमित होना।
4. जन्मजात लिवर और श्वसन की समस्या।
5. गर्भनाल से टीबी इंफेक्शन होना।
6. हेपेटोसप्लेनोमेगाली यानी लिवर और स्प्लीन संबंधी समस्या।
7. श्वसन से जुड़ी परेशानी होना।
8. टीबी के कारण नवजात शिशु को बुखार होना।
9. रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना।