सुपोषित व स्वस्थ समाज के लिए मनाया जा रहा है पोषण पखवाड़ा, ऐसे चलेगा अभियान
चंदौली जिले में जनपद के बच्चों एवं महिलाओं में कुपोषण को दूर करने के लिए 21 मार्च से 4 अप्रैल तक समस्त विकासखंडों, नगर पंचायतों तथा ग्राम सभाओं में पोषण पखवाड़ा मनाया जा रहा है। अभियान में प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्र पर गर्भवती, किशोरियों और बच्चों का वजन लंबाई ऊंचाई ली जा रही है। अस्वस्थ होने पर उन्हें चिन्हित कर विशेष परामर्श दिया जा रहा है। यह कहना है जिला कार्यक्रम अधिकारी जया त्रिपाठी का ।
डीपीओ जया त्रिपाठी ने बताया कि पोषण पखवाड़ा 4 अप्रैल तक चलेगा। इसके तहत एक निर्धारित कार्य योजना तैयार कर पोषण पखवाड़े का आयोजन प्रत्येक केंद्र पर किया जा रहा है । जिसमें गर्भवती, किशोरी और बच्चों का वजन लंबाई ऊंचाई लेते हुए रीयल टाइम पर और लंबाई के आधार पर वजन करते हुए सैम-मैम बच्चों की पहचान करना, उम्र के आधार पर वजन करते हुए अति कुपोषित तथा कुपोषित बच्चों की पहचान करना तथा उम्र के आधार पर लंबाई की पहचान करते हुए गंभीर और मध्यम श्रेणी के नाटेपन की पहचान करना तथा चिन्हांकित बच्चों को चिकित्सीय परामर्श तथा संदर्भित किया जाना शामिल है। इन सभी चिन्हित बच्चों का पूरा विवरण पोषण ट्रैकर पर भी फीड किया जा रहा है जिसका अनुश्रवण केंद्र स्तर पर किया जा रहा है। इसके साथ ही पोषण पखवाड़ा की सभी आयोजित गतिविधियों का विवरण पोषण अभियान के पोर्टल पर भी प्रतिदिन फीड किया जा रहा है।
डीपीओ ने बताया कि जिले में 0 से 5 वर्ष तक के 2,15,710 बच्चे हैं| पोषण पखवाडे के प्रथम चरण में अब तक 2,11,640 बच्चों का वजन लंबाई ऊंचाई लिया गया है। जिसमें 1,95,960 सामान्य श्रेणी वाले बच्चा पाए गए। इसके साथ ही अल्प वजन यानि (पीली श्रेणी) के बच्चे 4352 बच्चे चिन्हित हुए, जबकि लाल श्रेणी 660 बच्चे पाये गये। वजन के सापेक्ष 123 मैम (माध्यम कुपोषित बच्चें ) एवं 16 सैम (अति गंभीर कुपोषित ) बच्चों की संख्या है| चिह्नित बच्चों की संख्या में परिवर्तन संभव है,क्योकि प्रेषित बच्चों की संख्या एवं उनके चिन्हांकित श्रेणी का परीक्षण किया जा रहा है। अति कुपोषित बच्चे पाये जाने पर उसे पोषण पुनर्वास केंद्र भर्ती किया जायेगा।
उन्होने बताया कि जनपद में कुल 1823 आंगनवाड़ी केंद्र हैं, जिसमें 1823 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तथा सहायिकाएं कार्यरत हैं। जिनके माध्यम से बच्चों और महिलाओं के पोषण स्तर में सुधार लाने का प्रयास किया जा रहा है।
डीपीओ ने बताया कि द्वितीय सप्ताह 28 से 4 अप्रैल तक लैंगिक संवेदनशीलता, जल प्रबन्धन, एनीमिया प्रबन्धन व रोकथाम तथा विशेष जनजातीय क्षेत्रों में महिलाओं व बच्चों के लिये पारम्परिक भोजन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके अन्तर्गत जल संरक्षण में महिलाओं की भूमिका, जल संरक्षण की महत्ता पर महिलाओं में जागरूकता, किशोरी बालिकाओं तथा गर्भवती/धात्री माताओं में एनीमिया से बचाव व उपचार, स्कूली बच्चों में एनीमिया की रोकथाम व उपचार, एनीमिया के बचाव व प्रबन्धन, क्षेत्रीय व पारम्परिक भोज्य पदार्थां के सेवन को बढ़ावा देना एवं रेसिपी प्रतियोगिता सहित विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।