इंडियन बैंक के 40 लॉकरों की डकैती में अरेस्ट पूजा व आलोक की जमानत याचिका खारिज
चंदौली जिले के इंडियन बैंक की शाखा से 30-31 जनवरी की रात में 40 बैंक लॉकरों को काटकर करोड़ों रुपए के कीमती जेवरात और अन्य नगदी की डकैती करने के मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार अभियुक्तों में से दो अभियुक्तों की आज जमानत याचिका जिला एवं सत्र न्यायाधीश ज्योति कुमार त्रिपाठी ने खारिज कर दी।
आपको बता दें कि इंडियन बैंक में हुई डकैती के मामले में चंदौली कोतवाली पुलिस ने 16 फरवरी को पूजा और आलोक कुमार नाम के अभियुक्तों को अन्य के साथ गिरफ्तार किया था और उनके ऊपर चंदौली कोतवाली में दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 33/2022 में शामिल बताया गया था।
इन्हें गिरफ्तार करके जेल में भेजे जाने के मामले में जमानत की याचिका आज खारिज कर दी गई। आरोपी जेल में हैं। इनका कहना था कि उनको अन्य अभियुक्त गणों से बयान के आधार पर फर्जी तरीके से फंसाया गया है। उनकी गिरफ्तारी का स्थान और उनके पास से बरामद किए गए सामान की जानकारी भी गलत है। उन्हें रांची से पकड़ा गया है और उनकी गिरफ्तारी पड़ाव पर दिखाई गई है तथा उनके पास से बरामद गहने भी गलत तरीके से दिखाए गए हैं।
अभियुक्त आलोक कुमार की ओर से प्रस्तुत की गई दलील में कहा गया है कि वह वेदिका क्रेडिट कैपिटल लिमिटेड में रिलेशनशिप एग्जीक्यूटिव के पद पर कार्यरत है और वहीं पर वह घटना वाले दिन भी मौजूद था। उसे 13 फरवरी को रात्रि में गिरफ्तार करके उसकी छोटे भाई की पत्नी पूजा के साथ घर से पकड़कर रांची के थाने में रखा गया और 16 फरवरी को उसकी गिरफ्तारी फर्जी तरीके से और गलत तरीके से बरामदगी दिखाते हुए की गई है।
वहीं पूजा की ओर से दाखिल की गई जमानत याचिका में दलील दी गई थी कि उसका विवाह 13 दिसंबर 2021 को गोपी उर्फ नारायण मालाकार के साथ हुआ था। वह रांची से B.Ed की परीक्षा अपनी बड़ी बहन पूनम देवी पत्नी आलोक कुमार के साथ उसके किराए के घर में रहकर दी थी। पूजा का पति गोपी और आलोक कुमार सगे भाई हैं। 13 फरवरी की रात में रांची स्थित उसकी बहन के घर से जेठ आलोक कुमार के साथ उसे उठाकर स्थानीय थाने में रखा गया है और उसकी फर्जी गिरफ्तारी दिखाई गई है। साथ में उसका आभूषण व मोबाइल इत्यादि गायब कर दिया गया है।
हालांकि शासकीय अधिवक्ता से शशि शंकर सिंह व अन्य के द्वारा जनपद न्यायाधीश इनकी जमानत खारिज करने करने की दलील दी गई और कहा गया कि मामले में समस्त तथ्यों और परिस्थितियों के साथ-साथ अपराध की प्रवृत्ति की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए अभियुक्तों को जमानत पर ना छोड़ा जाए। इसके चलते जिला जज ने दोनों की जमानत खारिज कर दी।
मामले में शशिशंकर सिंह, जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) तथा सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अवधेश कुमार पांडेय ने की पैरवी की।