अनुदेशक संघ ने अपनी 11 सूत्रीय मांगों का सौंपा ज्ञापन, अपर जिला अधिकारी ने लिया ज्ञापन
 

चंदौली जिले के अनुदेशकों द्वारा अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर जिला अधिकारी कार्यालय में उपस्थित होकर मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन अपर जिलाधिकारी को सौंपा गया।
 

अनुदेशकों की मांग ये हैं मांगें

मांग नहीं पूर्ण की गई तो 27 दिसंबर को होगा प्रदेश व्यापी आंदोलन

अपनी समस्याओं को लेकर मुखर हैं अनुदेशक

चंदौली जिले के अनुदेशकों द्वारा अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर जिला अधिकारी कार्यालय में उपस्थित होकर मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन अपर जिलाधिकारी को सौंपा गया। साथ ही चेतावनी दी गयी कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गयीं तो वे आन्दोलन करने को बाध्य होंगे।

बता दें कि चंदौली जिले के बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों की मौलिक समस्याओं एवं महिला अनुदेशकों की मानवी एवं आधारभूत समस्याओं पर लगातार सरकारी उपेक्षा की जा रही है । जिसको देखते हुए अनुदेशक संघ द्वारा आज अपने 11 सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन जिला अधिकारी कार्यालय में अपर जिला अधिकारी को सौंपने का काम किया गया।

 इस दौरान अनुदेशक संघ के लोगों ने बताया कि उत्तर प्रदेश के समस्त अनुदेशकों का लगातार सरकार द्वारा शोषण एवं उनके ऊपर अत्याचार किया जा रहा है। इसके विरोध में 27 दिसंबर  2023 को प्रदेश व्यापी अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन किया जाएगा। यदि सरकार द्वारा उनकी मांगें नहीं मांनी गई तो बाध्य होकर अनुदेशक अपनी 11 सूत्रीय मांगों की लड़ाई को लेकर प्रदेश व्यापी आंदोलन करने के लिए जाएंगे । 

1. यह कि शिक्षा अधिकार अधिनियम से नियुक्त अनुदेशक पिछले दस वर्षों से पुर्ण कालिक कार्य करते हुए नौनिहालों का भविष्य संवार रहे हैं। अधिसंख्य अनुदेशकों की उम्र सीमा 40 वर्ष पार कर चुकी है। अत: नवीन शिक्षा नीति के अनुसार हम अनुदेशकों को नियमित किया जाए।

2.यह कि नियमितीकरण होने तक तत्काल प्रभाव से 12 माह के लिए समान कार्य, समान वेतन की व्यवस्था लागू की जाए। 

3. यह कि नवीनीकरण के नाम पर हम अनुदेशकों का अमानवीय शोषण किया जाता है। शोषण के कुकृत्य ऐसे हैं जिसे सिर्फ संवेदनशील सरकार ही समझ सकती है।अतः स्वत:नवीनीकरण व्यवस्था लागू हो। 

4.यह कि सरकार द्वारा हम अनुदेशकों के विरुद्ध अदालतों में चलाई जा रही समस्त कार्यवाही अविलंब वापस लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय व माननीय उच्च न्यायालय डबल बेंच में पारित निर्णय एवं दिशानिर्देशों को तत्काल प्रभाव से निष्पादित किया जाए। 

5.महिला अनुदेशकों का अन्तर्जनपदीय स्थानांतरण प्राथमिकता के आधार पर किया जाए।

6.यह कि अत्यंत अल्प मानदेय से रुग्ण हो चुके हम अनुदेशकों को आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाए। 
 
7. यह कि हम अनुदेशकों के भविष्य एवं आकस्मिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा(EPF)की गारंटी दिया जाए।

8.यह कि 100 छात्र संख्या   की तलवार का प्रयोग शिक्षकों द्वारा अनुदेशकों के सम्बन्ध में जानबूझकर किया जा रहा।ऐसे में शोषण से बचाव के राहत कारी उपाय किये जाएं। मात्र अनुदेशकों को जिम्मेदार मानकर एकतरफा कार्यवाही नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध है। 

9.यह कि हम अनुदेशकों को 10 संयोगी अवकाश(CL) के अलावा कोई छुट्टी नही है। जो कि मानवाधिकारों के विरुद्ध है अतः अनुदेशकों को भी शिक्षकों की तरह ही आकस्मिक अवकाश, चिकित्सकीय अवकाश,बाल्य देखभाल अवकाश(CCL) एवं मातृत्व अवकाश का उपबंध किया जाए। 

10.यह कि अत्यंत अल्प मानदेय एवं सरकार द्वारा अनुदेशकों को लगातार कोर्ट में उलझाए,लटकाने के परिणामस्वरूप स्वयं के व्यवस्था से आनलाइन गतिविधियों का संचालन तकनीकी रूप से असम्भव हो चला है। हम अनुदेशक कर्मठता और ईमानदारी से समस्त गतिविधियां आफलाइन मोड में ही निष्पादित करेंगे। 

11.यह कि अत्यंत अल्प मानदेय एवं संकीर्ण सामाजिक स्थिति के कारण हम अनुदेशक मानवीय गरिमा के अनुकूल सामान्य जीवनचर्या से तालमेल नहीं बना पा रहे। परिणामस्वरूप कार्यस्थलों पर शोषण एवं असहजता से अवसाद की 
स्थिति उत्पन्न होती रहती है।

अतः अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के आलोक में बच्चों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अधिकारों के प्रवर्तन के लिए हम अनुदेशकों की उपरोक्त समस्याओं का त्वरित निस्तारण हो। इस दौरान अमित सिंह, उमेश, संजय, सुदामा,  नवीन, संदीप, सरोज, नेहा, नीतू, धीरज सिंह, प्रिया, अजीत, दीपू, देवा, बलवंत, प्रमोद, नवीन, पार्थ, साहनी, अरूण पाठक, गौतम लाल, मजीद, प्रवीण आदि लोग उपस्थित रहे।