बैंकों के निजीकरण के विरोध में भारत यात्रा और 'बैंक बचाओ, देश बचाओ' रैली
बैंकों के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन
भारत यात्रा और 'बैंक बचाओ, देश बचाओ' रैली
देश में बैंक अधिकारियों का शीर्ष संगठन ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी) संसद के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर बैंकों के निजीकरण के खिलाफ जनमत जुटाने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से भारत यात्राएं आयोजित कर रहा है। भारत यात्रा 30 नवंबर, 2021 को नई दिल्ली में "बैंक बचाओ, देश बचाओ" रैली में समाप्त होगी। यह प्रत्याशित है कि केंद्रीय बजट 2021 में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा घोषित बैंक के निजीकरण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सरकार बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और 1980 और बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 में संशोधन पेश करेगी।
आज एआईबीओसी के महासचिव सौम्या दत्ता भारत यात्रा के दौरान "बैंक बचाओ, देश बचाओ" अभियान के तहत यूनियन बैंक, चंदौली के प्रांगन में पधारे और लोगों को संबोधित किया। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की उपयोगिता के सम्बन्ध में लोगों को बताया और सरकार के द्वारा बैंकों के निजीकरण करने से देश के आम आदमी को होने वाले नुकसान और परेशानियों के बारे में चर्चा की। उन्होंने यह बताया की आख़िरकार बैंकों के निजीकरण का विरोध करना और इस निजीकरण को रोकना क्यों जरूरी है?
बैंकों के निजीकरण के कारण आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को बैंकिंग सेवाओ से वंचित होना पड़ेगा, क्योंकि तब बैंक सिर्फ लाभप्रदता की बात करेगी और सामाजिक सुरक्षा की योजनावों को लागु नहीं करेगी।
बैंक का निजीकरण साधारण ग्राहकों के बैंक जमाओं की सुरक्षा को कम करेगी, क्योंकि तब जमा राशी गारंटी योजना समाप्त हो जाएगी। अभी तक एक लाख रूपये तक की राशी जमा राशी गारंटी योजना से सुरक्षित है।
बैंक निजीकरण से किसानों, छोटे व्यवसायों, स्वयं सहायता समूहों, अनुसूचित जाति और जनजाति और कमजोर वर्गों के लिए ऋण सुविधा समाप्त हो जायेगी।
बैंक का निजीकरण बैंकिंग व्यवस्था से गरीब और ग्रामीण ग्राहकों को बाहर करेगा, क्योंकि तब जन धन खाता जैसी योजना में जमा धनराशी न्यूनतम जमा राशी नहीं बनाये रखने के कारण बैंकों के द्वारा जब्त कर ली जाएगी।
बैंक निजीकरण बैंकों की विफलतावों को पुनः वापस लायेगा। राष्ट्रीयकरण से पहले और आजादी के बाद लगभग 700 बैंक दिवालिया होकर बंद हो गए थे साथ ही साथ इससे ऋण दोषियों और धोखेबाजों को बढ़ावा मिलेगा।
बैंक निजीकरण बैंकिंग क्षेत्र को कमजोर करेगा और क्रोनी कैपिटलिज्म को पुरस्कृत करेगा।
बैंक के निजीकरण से रोजगार के अवसर कम होंगे और भारत जैसे देश में बेरोजगारी बढ़ेगी, खासकर एससी/एसटी/ओबीसी के लिए।
उन्होंने कहा की इस तरह यह स्पष्ट है कि सरकारी बैंकों के निजीकरण का कदम देश हित के खिलाफ है। यद्दपि केंद्र सरकार 1991 के बाद से ही लगातार विनिवेश के माध्यम से सरकारी संपत्ति को बेच रही है तथापि आज की वर्तमान सरकार, सरकारी संपत्तिओं का जिस जोर शोर से थोक निजीकरण कर रही है वो बेमिशाल है। यह सरकार जमीन पर रेल की ट्रेन, पटरी, स्टेशन, पार्किंग से लेकर राष्ट्रीय बिमान संस्था हवाई जहाज, हवाई अड्डा, हवाई अड्डे का पार्किंग, समुन्दर में समुंद्री जहाज, बंदरगाह, रोड पर राष्ट्रीय राजमार्ग टोल टैक्स, दूर संचार में BSNL MTNL, ईंधन के तेल, गैस, कोयला, कोयले की खदान सभी कुछ बेचने पर तुली हुई है अतः सभी भारतीयों से अपील है कि वे अर्थव्यवस्था की बुनियाद, सरकारी बैंकों और अन्य सार्वजनिक सम्पतियों के निजीकरण के खिलाफ एकजुट हों।
सरकारी संपत्ति की रक्षा में ही असली देश भक्ति है। अतः आप सभी से करबद्ध प्रार्थना है कि “बैंक बचाओ, देश बचाओ” अभियान में बढ़ चढ़कर भाग लेते हुए 30 नवंबर 2021 को नई दिल्ली के जंतर-मंतर में होने वाली रैली में भारी संख्या में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर निजीकरण के विरोध में एकतावद्ध लड़ाई को मजबूत करें। उन्होंने कहा की हम सब मिलकर निजीकरण की नीतियों को हरा देंगे। सभा की अध्यक्षता एआईबीओसी के उपाध्यक्ष श्री गिरधर गोपाल ने की।
सभा को एआईबीओसी के उपाध्यक्ष श्री गिरधर गोपाल, उप महासचिव श्री दीपक चौधरी, श्री अमिताभ भौमिक, अर्थशास्त्री श्री प्रसन्नजीत बोस ने संबोधित किया। सभा में श्री सतीश लाल, श्री सामंत, श्री निशांत, श्री विकाश, श्री संभु, श्री चंद्रभान और चंदौली के सारे बैंककर्मी शामिल हुए।