बेसिक शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला: चंदौली के शून्य और एकल शिक्षक वाले 43 स्कूलों में आज होगी नई तैनाती

चंदौली जिले के बेसिक स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया आज पूरी हो जाएगी। 43 स्कूलों में शिक्षकों को शिफ्ट किया जा रहा है ताकि शून्य और एकल शिक्षक वाले विद्यालयों में पढ़ाई सुचारू रूप से चल सके।
 

चंदौली में शिक्षकों के स्थानांतरण की 31 दिसंबर अंतिम तिथि

कुल 43 चिन्हित विद्यालयों में शिक्षकों की होगी नई तैनाती

शून्य और एकल शिक्षक वाले स्कूलों को दी गई प्राथमिकता

छात्र-शिक्षक अनुपात को बेहतर बनाने के लिए बड़ा कदम

नगरीय क्षेत्रों के 4 एकल शिक्षक वाले स्कूलों में भी शिफ्टिंग

चंदौली जिले में बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रशासन ने निर्णायक कदम उठाया है। प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों को बेहतर शैक्षिक माहौल देने के लिए चल रहे शिक्षकों के स्थानांतरण और समायोजन की प्रक्रिया आज, 31 दिसंबर को अपने अंतिम पड़ाव पर है। बेसिक शिक्षा विभाग की इस पहल से जिले के 43 विद्यालयों की शिक्षण व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

शून्य और एकल शिक्षक वाले स्कूलों पर विशेष फोकस
बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) सचिन कुमार के नेतृत्व में तैयार की गई इस स्थानांतरण नीति में उन विद्यालयों को प्राथमिकता दी गई है, जहाँ शिक्षकों की भारी कमी थी। विभाग ने सबसे पहले उन 'जीरो टीचर' स्कूलों को चिन्हित किया है, जो अब तक केवल शिक्षामित्रों या अनुदेशकों के भरोसे चल रहे थे। नीति के तहत इन स्कूलों में कम से कम दो नियमित शिक्षकों की तैनाती सुनिश्चित की जा रही है।

सचिन कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी

इसके साथ ही, जिले के उन 'एकल शिक्षक' वाले विद्यालयों में भी अतिरिक्त स्टाफ भेजा जा रहा है, जहाँ एक ही शिक्षक पर पूरे स्कूल के संचालन का भार था। विभाग का मानना है कि एकल शिक्षक होने से न केवल प्रशासनिक कार्य प्रभावित होते थे, बल्कि छात्रों की पढ़ाई पर भी बुरा असर पड़ता था।

नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों का संतुलन
BSA सचिन कुमार ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि जनपद के 16 नगरीय विद्यालयों में से 4 विद्यालय ऐसे पाए गए थे, जहाँ केवल एक-एक शिक्षक तैनात था। इन नगरीय स्कूलों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के दूर-दराज के स्कूलों को भी इस सूची में शामिल किया गया है। पूरी प्रक्रिया छात्र-शिक्षक अनुपात (Pupil-Teacher Ratio) के मानकों को ध्यान में रखकर पूरी की जा रही है, ताकि अधिक छात्र संख्या वाले स्कूलों में शिक्षकों की कमी न रहे।


पारदर्शिता और शासन की मंशा
विभागीय सूत्रों के अनुसार, यह पूरी प्रक्रिया शासन की मंशा के अनुरूप और पूरी तरह पारदर्शी ढंग से संचालित की जा रही है। शिक्षकों की शिफ्टिंग के लिए डेटा और विद्यालयों की वास्तविक आवश्यकता को आधार बनाया गया है। विभाग का मुख्य लक्ष्य यह है कि 1 जनवरी से जब स्कूल नए उत्साह के साथ खुलें, तो किसी भी बच्चे की पढ़ाई शिक्षक के अभाव में बाधित न हो।

अभिभावकों में जगी बेहतर भविष्य की उम्मीद
शिक्षा विभाग के इस कदम को स्थानीय अभिभावकों और शिक्षाविदों ने सकारात्मक बताया है। नियमित शिक्षकों की तैनाती से न केवल अनुशासन बढ़ेगा, बल्कि बुनियादी शिक्षा के स्तर में भी सुधार आएगा। आज शाम तक सभी 43 विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती का आदेश फाइनल कर दिया जाएगा, जिससे जनपद के हजारों छात्रों को लाभ होगा। अब देखना यह है कि इस नई व्यवस्था के बाद जिले के लर्निंग आउटकम (Learning Outcome) में कितनी वृद्धि दर्ज की जाती है।