कब व कैसे पूरा होगा चंदौली जिले का असली सपना, सबके पास ‘घर’ होगा अपना

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चन्दौली जिले की घोषणा हुए करीब 23 साल से अधिक का समय चुका है। मगर जिले में अभी भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव जस का तस है। विभागों के पास खुद के सरकारी भवन नहीं है। यह जरूर है कि लंबे समय बाद कलेक्ट्रेट का निर्माण शुरू हुआ लेकिन वह भी अभी अधूरा है। विकास
 

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चन्दौली जिले की घोषणा हुए करीब 23 साल से अधिक का समय चुका है। मगर जिले में अभी भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव जस का तस है। विभागों के पास खुद के सरकारी भवन नहीं है। यह जरूर है कि लंबे समय बाद कलेक्ट्रेट का निर्माण शुरू हुआ लेकिन वह भी अभी अधूरा है। विकास भवन कृषि विभाग के कार्यालय में चल रहा है। पुलिस लाइन, जिला न्यायालय, जिला जेल, खेल मैदान इनमें से किसी का निर्माण भी नहीं शुरू हो पाया है। अन्य विभागों के लिए अभी जमीन तक नहीं मिल सकी है। ज्यादातर विभाग किराए के भवनों में संचालित हैं। वहीं अफसरों के आवास तक नहीं है। जिले के आला अफसर पॉलिटेक्निक कॉलेज, सिंचाई विभाग के डाक बंगला, कृषि के आवासीय भवनों में रह रहे हैं। जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते कुछ भी धरातल पर नहीं उतर सका है।

कलेक्ट्रेट राजकीय कोषागार के भवन में संचालित है। इसका निर्माण पिछली सरकार में नौ करोड़ की लागत से शुरू हुआ लेकिन काम ठप हो गया। तब से मामला ठंडे बस्ते में चल रहा था। वर्ष 2018 में जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल की पहल पर फिर काम शुरू हुआ लेकिन इसकी लागत बढ़कर 19 करोड़ रुपये से अधिक हो गई। इसे इसी साल मार्च तक पूरा करना था मगर अब तक जिलाधिकारी कार्यालय नए भवन में शिफ्ट नहीं हो पाया है। कोषागार भवन में डीएम कार्यालय के अलावा एडीएम और एडीएम न्यायिक तथा उनसे संबंधित विभिन्न कार्य संचालित हो रहे हैं।

विकास भवन का यह हाल जिले के विकास का खाका खींचने और रुपरेखा तैयार करने के लिए विकास भवन ही खुद के कार्यालय के इंतजार में है। दो दशक से अधिक का समय हो गया मगर अब तक विकास भवन नहीं बन पाया। कृषि विभाग के कार्यालय में विकास भवन संचालित है। इसी भवन में प्रादेशिक सेवा, बचत अधिकारी, क्रीड़ा अधिकारी का भी कार्यालय है। यहां जगह कम होने से कामकाज में परेशानी होती है। वहीं वहां आने वाले फरियादियों को भी गर्मी, जाड़ा और बरसात के सीजन में काफी परेशानी उठानी पड़ती है।

यह जरूर है कि विकास भवन के लिए बन रहे कलेक्ट्रेट के प्रथम तल पर बनाने की तैयारी चल रही है लेकिन यह सब कुछ अभी कागज पर ही है।

पुलिस की व्यवस्था आधी अधूरी
जिले का हाल तो यह है कि यहां अब तक पुलिस लाइन भी नहीं बन सकी है। सदर कोतवाली में पुलिस लाइन संचालित है। पुलिस अधीक्षक कार्यालय भी इसी परिसर में संचालित है। पीडीडीयू जंक्शन-गया रेल रूट और हाइवे के बीच में सदर कोतवाली में पुलिस लाइन संचालित होने से जगह की काफी कमी है। इसके लिए भी जिला प्रशासन अब तक जमीन का फाइनल इंतजाम नहीं कर पाया है। यातायात पुलिस लाइन भी नहीं है। पुलिस कर्मियों के लिए आवास की दिक्कत है।

न्यायालय का मामला भी अधर में लटका
जिला न्यायालय, जिला जेल का भी पता नहीं है। जिले में अब तक जिला न्यायालय का भी निर्माण नहीं हो सका है। इसके लिए जिला प्रशासन ने जमीन चिह्नित कर ली है। लेकिन अभी निर्माण नहीं शुरू हो पाया है। इसके लिए जिले के अधिवक्ता काफी विरोध प्रदर्शन भी कर चुके हैं।

जेल को लेकर कंफ्यूजन
कुछ ऐसा ही हाल जिला जेल का है। जिले के कैदी वाराणसी के जिला जेल या सेंट्रल जेल शिवपुर में रखे जाते हैं। पेशी के लिए रोजाना वाराणसी से चंदौली और शाम को फिर वाराणसी भेज दिया जाता है। कैदियों को ले आने और ले जाने में सुरक्षा के लिहाज से खतरा भी रहता है।

ज्यादातर विभाग किराएदार
जिले में खुद का कार्यालय नहीं होने पर एक दर्जन से अधिक ऐसे विभाग हैं जो किराए के भवनों या फिर दूसरे सरकारी कार्यालयों में संचालित है। चंदौली नगर में अलग-अलग स्थानों पर बिखरे सरकारी कार्यालयों तक पहुंचने में भी फरियादियों और जरूरतमंदों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। ग्रामीण और नक्सल क्षेत्र से आने वाले फरियादियों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। काफी मशक्कत के बाद लोग कार्यालयों तक पहुंच पाते हैं।

दूसरे के भवनों पर कर रखा है कब्जा

दो दशक बाद भी जिलाधिकारी से लेकर पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अफसरों के लिए अब तक आवास भी नहीं बन पाए हैं। जिलाधिकारी और एसडीएम सदर, सीडीओ, एएसपी, सीवीओ का आवास पालिटेक्निक कालेज के परिसर में है। वहीं पुलिस अधीक्षक का आवास सिंचाई विभाग के डाक बंगले में है। अपर जिलाधिकारी राजकीय डिग्री कालेज में अपना आवास बनाए हुए हैं। जबकि परियोजना निदेशक सदर ब्लाक कार्यालय में रहते हैं। जिला विकास अधिकारी का नियामताबाद ब्लॉक के आवासीय भवन में रहना पड़ता है।

अपर जिलाधिकारी अतुल कुमार का दावा है कि कलेक्ट्रेट का निर्माण अंतिम चरण में है, जल्द ही नए कलेक्ट्रेट में कामकाज शुरू हो जाएगा। कलेक्ट्रेट भवन के ऊपर विकास भवन बनाने के लिए प्रमुख सचिव ग्रामीण विकास को प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया गया है। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद विकास भवन का निर्माण करा कर किराए के भवनों में चल रहे अन्य सरकारी कार्यालयों को भी विकास भवन में शिफ्ट करा दिया जायेगा। बाकी कार्यालयों के लिए जमीन की तलाश चल रही है, जल्द ही जमीनों को चिह्नित कर निर्माण शुरू करा दिए जाएंगे।