गोरारी गांव की समस्या निपटाने में फेल है आईएएस व पीसीएस अफसर, फिर शुरू हुआ घरना
ग्रामीणों ने चौथी बार छोड़ा अपना गांव
पलायन को मजबूर हो रहे हैं पीड़ित परिवार
पता नहीं किस दबाव में काम कर रहा है प्रशासन
आखिर क्यों देता है झूठा आश्वासन
चंदौली जिले के सदर ब्लॉक के गोरारी गांव के पचासों घर पूरे परिवार बूढ़े- बुजुर्ग, महिलायें और बच्चों के साथ बिछिया धरना स्थल पर शरणार्थी के रूप में एक बार फिर से पहुंचे हैं। इसके बाबत एक पत्र जिलाधिकारी के नाम अतिरिक्त उप जिलाधिकारी पिनाक द्विवेदी के जरिए दिया गया है।
आपको बता दें बीते दिनों 17 जनवरी को गोरारी गांव में दबंगों द्वारा कुछ लोगों के घरों को बुलडोज़र द्वारा जमींदोज कर मड़ई में आग लगा दी गयी थी। साथ ही 190 घरों के 1200 लोगों के आने-जाने के मार्ग को मिट्टी डालकर बंद कर दिया गया था। जिसको लेकर पीड़ित परिवार और ग्रामीणों ने थाना बबुरी में तहरीर दिया था। मौके से दबंग को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया और जेसीबी को सीज कर दिया गया।
इस प्रकरण को लेकर पीड़ित परिवार और गांव के लोग जिलाधिकारी ईशा दुहन से मिलकर अपनी फरियाद सुनाई थी। मामला का फिर भी हल नहीं निकला। उसके बाद जिलाधिकारी कार्यालय के गेट पर 4 दिनों का धरना भी दिया गया। अपर जिलाधिकारी के आश्वासन पर धरना स्थगित कर दिया गया, लेकिन किसी अफसर ने कुछ नहीं किया। फिर 24 फरवरी को फिर गांव के लोग पलायन कर बिछिया धरने स्थल पर पहुंचे और 10 दिनों तक धरना दिया। इसके बाद नवागंतुक उप जिलाधिकारी दिग्विजय प्रताप सिंह ने मामले को हल करने का आश्वासन दिया। उससे पहले नवागत जिलाधिकारी निखिल टी फुंडे से गोरारी संघर्ष मोर्चा के एक प्रतिनिधि मंडल मिला था। जिलाधिकारी ने भी आश्वासन दिया कि पानी निकलने और आने जाने प्रबंध करना, प्रशासन का काम है। आप लोगों के समस्या का निवारण हो जाएगा।
भारतीय किसान यूनियन,टिकैत के मंडल प्रवक्ता और गोरारी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष मणि देव चतुर्वेदी ने कहा कि मामला 17 जनवरी का है। लगभग 3 महीने बीत जाने के बाद भी गोरारी गांव के 190 घरों के 1200 लोगों के समस्या का निदान प्रशासन नहीं कर पाया है। सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन ही मिल रहा है। लोगों के घरों के नाबदान का पानी दोबारा घरों में घुस रहा है। बच्चे- बुजुर्ग बीमार हो रहे हैं। असमय हुई बरसात में गलियों में घुटने भर पानी भरा हुआ है।
गांव के लोगों का जीवन जीना दूभर हो गया है। हम गांव वालों को किसी व्यक्ति विशेष की जमीन से कोई लेना देना नहीं है। बस प्रशासन से गुजारिश है कि 190 घरों के 1200 लोगों को आने जाने का मार्ग और पानी निकासी की ब्यवस्था करे। जोकि शासन-प्रशासन का कर्तव्य है। प्रशासन की इस हीलाहवाली से हम ग्रामीण पलायन को बार बार मजबूर हो रहे हैं।
इस बार हम चौथी बार पलायन को मजबूर हुए हैं। हमे बार-बार आश्वासन देकर घर भेजा जाता है, पर समस्या का निवारण नहीं हो रहा है। अब हम लोगों ने फैसला किया है कि जब तक हमें रास्ता नहीं मिल जाता है और पानी निकलने की समुचित व्यवस्था नहीं होती है, तब तक हमलोग शरणार्थी का जीवन जिएंगे।
मीरा देवी ने बताया कि घर व गांव में रहने लायक नहीं है। नाबदान का पानी घरों में घुस रहा है। हम कौन से घरों में जायें। धर्मशीला ने कहा कि किसको अपना घर प्यारा नहीं होता है। भारत को आजाद हुए 74 साल हो गए पर सही मायनों में आजादी नहीं मिली है। हम आज भी न्याय के लिए दर दर भटक रहे हैं। कोई सुनने वाला नहीं है। सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन मिल रहा है। हम कामकाजी महिला हैं, पति दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर है। फिर भी गांव से पलायन को मजबूर हैं।
जिलाध्यक्ष सतीश सिंह चौहान ने कहा कि अगर चन्दौली प्रशासन नहीं सुनता है, तो ग्रामीणों के साथ यूनियन प्रधानमंत्री कार्यालय, वाराणसी पहुंचकर अपनी व्यथा प्रधानमंत्री तक पहुंचाएगा।
शरणार्थी में मीरा देवी, धर्मशीला देवी, श्याम प्यारी, सूखा, सुशीला, शीला, अनारकली, रानी, चिंता, रूबी, कांति देवी, शिव दुलारी देवी, दुलरा, लवंगा, नीलू, मुंशी चौहान, राजेश्वर, लक्षिमन, जय सिंह, घूरे लाल, बिक्रमा चौहान, खिचडू चौहान, पराहु पासवन, बिजेंद्र, बब्बू, राहुल, रामबाबू, छविनाथ, भोनू यूनियन के सदर अध्यक्ष कन्हैया, उपाध्यक्ष प्रभाकर मौर्या, ब्लाक अध्य्क्ष बरहनी जीउत, प्रचार मंत्री ओमबीर सिंह आदि उपस्थित रहे।