झूठा आश्वासन देकर चली गयीं डीएम साहिबा, पूरे मामले में लीपापोती करते रहे ADM व SDM
गोरारी गांव के लोगों को न्याय नहीं दिला पाई डीएम साहिबा
क्या नए DM निखिल टीकाराम फुंडे दिला पाएंगे गरीबों को इन्साफ
चंदौली जिले के बबुरी थाना क्षेत्र के गोरारी गांव के पचासों घरों में रहने वाले लोग पुरे परिवार के साछ बूढ़े बुजुर्ग महिलाएं और बच्चों को लेकर बिछिया धरना स्थल पर शरणार्थी के रूप में तीन दिन से बैठे हैं, लेकिन इन लोगों को जिले की जिलाधिकारी ईशा दुहन और अपर जिलाधिकारी व उपजिलाधिकारी लगभग दो महीने से झूठा आश्वासन देकर बरगलाते रहे, लेकिन उनकी समस्या को सुनकर इन्साफ नहीं कर पाए। सत्तापक्ष के लोगों की पैरवी के आगे गरीबों की आवाज को दबाने की भरपूर कोशिश जारी रही।
आपको बता दें कि गोरारी गांव के पचासों घर पूरे परिवार बूढ़े- बुजुर्ग, महिलायें और बच्चों के साथ बुधवार से बिछिया धरना स्थल पर शरणार्थी के रूप में पहुंचे। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि दबंगों द्वारा कुछ लोगों के घरों को बुलडोज़र द्वारा जमीदोंज कर मड़ई में आग लगा दी गयी थी। साथ ही 190 घरों के 1200 परिवार के आने-जाने के मार्ग को मिट्टी डालकर बंद कर दिया गया था। जिसको लेकर पीड़ित परिवार और ग्रामीणों ने थाना बबुरी में तहरीर दिया था। मौके से दबंग को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया और जेसीबी को सीज कर दिया गया था। लेकिन उसके बाद गांव वालों की कोई मदद नहीं की गयी।
इस प्रकरण को लेकर पीड़ित परिवार और गांव के लोगों ने जिलाधिकारी ईशा दुहन से मिलकर अपनी ब्यथा सुनाई थी। मामले का फिर भी हल नहीं निकला। उसके बाद जिलाधिकारी कार्यालय के गेट पर चार दिन का धरना भी दिया गया। अपर जिलाधिकारी के आश्वासन पर धरना समाप्त कर दिया गया। आश्वासन के 10 दिन बीत जाने के बाद भी समस्या का निवारण नहीं हुआ तो बुधवार को गांव के लोग पलायन कर बिछिया धरने स्थल पर पहुंचे। वहीं तीन दिन बीत जाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो सकी है।
अब देखना होगा कि नये जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे गोरारी गांव की समस्या को संज्ञान में लेकर कोई कार्रवाई करते हैं या वह भी सत्ता के लोगों के दबाव में मामले से किनारा करते रहते हैं।