माधोपुर में इंडो-इजराइल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बना तो यह होंगे फायदे, बड़े काम की है परियोजना

सांसद ने योगी आदित्यनाथ से इंडो इजराइल परियोजना की मांग करते हुए कहा कि चंदौली जिले के माधोपुर में स्थित उद्यान विभाग की जमीन पर ऐसी परियोजना जिले के विकास में काफी सहायक होगी। 
 
माधोपुर में इंडो-इजराइल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
जनसभा संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने रखी गयी दो मांगे 
किसानों की खुशहाली के लिए किया जाना चाहिए काम 

चंदौली जिले में डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय ने अपने जनसभा संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दो मांगे रखी थीं। एक मांग को तत्काल मौके पर ही पूरा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा कीनाराम के नाम से चंदौली जिले के मेडिकल कालेज का नामकरण किया जाएगा। जबकि दूसरी मांग चंदौली जिले में खेती-बारी से संबंधित इंडो-इजराइल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस वाली परियोजना को देने की मांग की। इसके लिए उन्होंने सरकार से माधोपुर गांव की उद्यान विभाग की जमीन को फिर से उसी विभाग को देकर इस पर किसानों की खुशहाली के लिए काम किया जाना चाहिए।

 माधोपुर गांव में उद्यान विभाग की जमीन पर एक शानदार खेती बाड़ी का काम किया जाएगा तो जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। वहां पर सांसद योगी आदित्यनाथ से इंडो इजराइल परियोजना की मांग करते हुए योगी आदित्यनाथ से कहा कि चंदौली जिले के माधोपुर में स्थित उद्यान विभाग की जमीन पर ऐसी परियोजना जिले के विकास में काफी सहायक होगी। 

 इंडो इजरायल परियोजना के तहत इस पर खेती बारी का काम और उससे संबंधित शोध का अगर कार्य किया जाएगा तो जनपद का काफी विकास होगा। उस पर हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ नहीं कहा, लेकिन यह माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस पर भी राय सरकार पहल करेगी।

अब सूबे में इंडो-इजरायल तकनीक से सब्जियों का उत्पादन होने के साथ साथ हाईटेक खेती प्रदेश के बस्ती व कन्नौज में की जा रही है। इससे वहां के किसान मालामाल होने की ओर अग्रसर होते हुए काम करना शुरू कर रहे हैं। 

इससे यह होगा फायदा...

-केंद्र में सब्जियों का उत्पादन व प्रदर्शन किया जाएगा।

-उत्कृष्ट केंद्र पर किसानों को विशेष प्रशिक्षण मिलेगा।

-सब्जियों व फूलों पर रिसर्च का काम भी होगा।

-पाली हाउस बनाकर सब्जियों, फलों व फूलों की खेती का प्रोत्साहन होगा।

-नर्सरी की खेप तैयार कर बिक्री की जाएगी।

-सूबे के किसानों को इसका लाभ मिलेगा।

-बीच-बीच में आने वाली इजरायली तकनीकी बताएंगे।


इंडो इजरायल की तकनीक से संरक्षित खेती कर किसानों की आय बढ़ायी जा सकती है। इजरायली तकनीक से सर्दी, गर्मी व बरसात में मशीनों से तापमान बराबर रहेगा। पाली हाउस में शिमला कलर मिर्च, खीरा, करेला, टमाटर समेत कई तरह की सब्जियों का उत्पादन होगा। यहां से प्रशिक्षण पाकर किसान खेतों पर उसी तर्ज पर फसलों की बोआई करेंगे। किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए बाहर से कृषि विशेषज्ञ आएंगे।

इंडो इजरायल फल-सब्जी अनुसंधान का काम चंदौली जिले में होता है तो यह प्रदेश का राज्य स्तर का तीसरा प्रोजेक्ट होगा। 


इस समय अलग-अलग राज्यों में फल, फूल और सब्जियों की आधुनिक खेती के लिए इजराइल के सहयोग से 29 प्रोजेक्ट चल रहे हैं। पांच पर काम भी जारी है। इसके तहत सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट हरियाणा में चल रहे हैं। खेती में उसकी तरक्की की एक वजह यह भी है। 

 दरअसल, दोनों देशों के बीच कृषि क्षेत्र में आपसी सहयोग की मजबूत नींव एचडी देवगौडा के शासनकाल में डाली गई थी। तब देश के कृषि मंत्री सीपीआई नेता चतुरानन मिश्र थे। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा में बना संरक्षित कृषि प्रौद्योगिकी केंद्र (Centre For Protection Cultivation Technology) की 31 दिसंबर 1996 को इजराइल के राष्ट्रपति इजर वाइजमैन ने भारत-इजराइल (Indo-Israel) कृषि प्रौद्योगिकी मूल्यांकन एवं हस्तांतरण केंद्र की आधारशिला रखी थी। कुछ साल बाद इसमें संरक्षित कृषि से जुड़ी कई तकनीकों का विकास हुआ, जिसका किसानों (Farmers) ने खूब लाभ उठा रहे हैं।