मिल्कीपुर ताहिरपुर में अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण का हो रहा विरोध, अनिश्चितकालीन धरना है जारी
तथागत बुद्ध विहार व लोना-चमाइन माता समाधि स्थल को बचाने की जंग जारी
भूमि अधिग्रहण के खिलाफ 18वें दिन भी डटे ग्रामीण
बोले – जान दे देंगे पर जमीन नहीं देंगे
चंदौली जिले के नियामताबाद तहसील के रामनगर स्थित मिल्कीपुर ताहिरपुर में अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) द्वारा जबरन भूमि अधिग्रहण के विरोध में चल रहा अनिश्चितकालीन धरना बुधवार को लगातार 18वें दिन भी जारी रहा। यह आंदोलन अब जिले का प्रमुख जनआंदोलन बन चुका है। धरना स्थल पर सुबह से ही बड़ी संख्या में ग्रामीण, बुद्ध अनुयायी और सामाजिक कार्यकर्ता एकत्र हुए और प्रशासन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह भूमि केवल मिट्टी का टुकड़ा नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और इतिहास की पहचान है, जिसे किसी भी कीमत पर छीने जाने नहीं दिया जाएगा।
बताते चलें कि धरना स्थल लोना-चमाइन माता समाधि स्थल और तथागत बुद्ध विहार परिसर पर माहौल पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा, लेकिन ग्रामीणों का उत्साह देखने लायक था। हर ओर “बुद्ध विहार नहीं हटेगा, हमारी भूमि हमारी पहचान है” जैसे नारे गूंजते रहे। प्रदर्शनकारियों ने साफ चेतावनी दी — “हम अपनी पवित्र भूमि पर किसी भी प्रकार का कब्जा नहीं होने देंगे। जान दे देंगे, पर जमीन नहीं देंगे।”
आज के धरने का नेतृत्व भुडकुंडा (चकिया) के समाजसेवी श्री श्यामलाल सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई किसी व्यक्ति की नहीं बल्कि जनआस्था और धरोहर की रक्षा की है। जब तक भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को रद्द नहीं किया जाएगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि हम तन-मन-धन से इस संघर्ष में अपने साथियों के साथ खड़े हैं और प्रशासन की किसी भी दमनात्मक नीति से पीछे नहीं हटेंगे।
धरना स्थल पर ग्रामीणों के साथ-साथ बुद्ध अनुयायी और विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। इस दौरान अमरेश प्रसाद कुशवाहा, वीरेंद्र मौर्य, चंद्रप्रकाश मौर्य, विनय एडवोकेट, कुलदीप मौर्य, सतनारायण मौर्य, रविंद्र नारायण सिंह, चंद्रशेखर सिंह, लक्ष्मण राम, कमलेश कुमार सिंह, सुरेश कुमार, संतराम मौर्य, श्याम सुंदर यादव, रामसूरत, सुरेंद्र राम सहित भभुआ (बिहार) से आए कई बुद्ध अनुयायियों ने भी आंदोलन को समर्थन दिया।
प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से मांग की कि तथागत बुद्ध विहार, लोना-चमाइन माता समाधि स्थल और मिल्कीपुर-ताहिरपुर क्षेत्र की पवित्र भूमि को अधिग्रहण से तत्काल मुक्त किया जाए। उन्होंने कहा कि यह भूमि धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है और यहां की मिट्टी बौद्ध धरोहरों से जुड़ी हुई है। यदि सरकार सच में धरोहर संरक्षण के प्रति गंभीर है तो उसे इस क्षेत्र को संस्कृतिक-पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करना चाहिए, न कि अधिग्रहित करना।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द ही अधिग्रहण की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई, तो आंदोलन को जिले की सीमाओं से बाहर राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक ले जाया जाएगा। बुद्ध अनुयायियों ने घोषणा की कि आने वाले दिनों में “धरती बचाओ, संस्कृति बचाओ अभियान” के तहत व्यापक जनजागरण चलाया जाएगा।
धरना स्थल पर पुलिस और प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रखी गई थी। अधिकारी स्थिति पर निगरानी बनाए हुए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है, जिससे प्रदर्शनकारियों में नाराजगी व्याप्त है।
धरने की बढ़ती अवधि और बढ़ते जनसमर्थन ने प्रशासन को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि तथागत बुद्ध विहार और लोना-चमाइन माता समाधि स्थल को लेकर जनता की भावना कितनी गहरी और अडिग है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह आंदोलन “आस्था, अस्तित्व और अधिकार” की रक्षा के लिए है और जब तक उनकी भूमि और धरोहर सुरक्षित नहीं होती, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।