अबकी बार गड़बड़ हो सकती है धान की फसल, मौसम की बेरुखी से किसान परेशान

जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में ही जनपद में मानसून की सक्रियता कमजोर पड़ गई। पर्याप्त बारिश नहीं होने और तेज धूप के कारण रोपी गई धान की फसल अब सूखने लगी है।
 

चंदौली में धान की खेती पर मंडरा रहे संकट के बादल

किसानों के चेहरे पर छाई है उदासी

बारिश कम होने से परेशान हैं अन्नदाता

चंदौली जिले में मानसून के बदले रुख के कारण धान की खेती पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। जुलाई माह का द्वितीय पखवारा बीतने को है, लेकिन अभी तक पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण धान की खेती पिछड़ रही है। अब तक मात्र 25 प्रतिशत ही धान की रोपाई हो पाई है। आने वाले एक सप्ताह के अंदर तेज बारिश नहीं हुई तो खेती तो प्रभावित होगी ही, उपज पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। रोपी गई धान की फसल को सूखता देख अन्नदाता आसमान की ओर ताक रहे हैं।

दरअसल खरीफ के चालू सीजन में कृषि विभाग की ओर से 1.15 लाख हेक्टेअर में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जून माह के द्वितीय पखवारे में नर्सरी तैयार होते ही किसानों ने धान की रोपाई का कार्य आरंभ कर दिया। किसानों में उम्मीद बंधी थी कि मानसून ने साथ दिया तो फसल का तेजी से विकास होगा। लेकिन, जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में ही जनपद में मानसून की सक्रियता कमजोर पड़ गई। पर्याप्त बारिश नहीं होने और तेज धूप के कारण रोपी गई धान की फसल अब सूखने लगी है। वहीं पानी के अभाव में खेतों में दरार भी पड़ने लगी है। बारिश नहीं होने से धान की रोपाई का कार्य भी बाधित हो रहा है।

हालांकि सिंचाई विभाग की ओर से नहरों में पानी छोड़ा जा रहा, लेकिन टेल के किसानों को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो पा रही है। बारिश का आंकड़ा जून माह में मानक वर्षा 87.60 के सापेक्ष 57 मिमी वर्षा हुई। वहीं जुलाई माह में 307.30 मानक वर्षा के सापेक्ष 17 जुलाई तक मात्र 76 मिमी ही वर्षा रिकार्ड की गई है। जबकि वर्ष 2023 में 21 जुलाई तक 84 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई थी।

इस संबंध में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता सर्वेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि मूसाखाड़ बांध में 25 दिन का पानी है। धान की रोपाई के लिए नहरों में पानी छोड़ा जा रहा है, ताकि किसानों को परेशानी का सामना न करना पड़े।