समाजसेवी की पहल से टला गांव के विद्यालय का मर्जर, बच्चों की शिक्षा को मिली राहत

समाजसेवी की इस शिकायत पर शिक्षा विभाग ने गंभीरता से संज्ञान लिया। विभाग द्वारा मामले की जांच कर निर्णय को पलटते हुए मर्जर को स्थगित कर दिया गया है।
 

प्राथमिक विद्यालय सेकंड के मर्जर पर था शिक्षा विभाग का फैसला

केवल कम छात्र संख्या के आधार पर लिया गया था निर्णय

समाजसेवी सुधांशु ओझा ने उठाई आवाज, भेजा मुख्यमंत्री को पत्र

शिक्षा विभाग ने लिया संज्ञान

जांच के बाद वापस लिया मर्जर आदेश

चंदौली जनपद के सदर ब्लॉक स्थित खुरुहूजा गांव के प्राथमिक विद्यालय सेकंड को कम छात्र संख्या के कारण शिक्षा विभाग द्वारा अन्य विद्यालय में मर्ज करने का निर्णय लिया गया था। लेकिन गांव के समाजसेवी सुधांशु मोहन ओझा, पुत्र आदि नाथ ओझा की पहल से यह मर्जर अब रद्द कर दिया गया है। इस निर्णय से न केवल छात्रों ही नहीं बल्कि अभिभावकों और शिक्षकों को भी बड़ी राहत मिली है।

आपको बता दें कि समाजसेवी सुधांशु मोहन ओझा ने इस निर्णय के खिलाफ मुख्यमंत्री को एक लिखित शिकायत पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने बताया कि खुरुहूजा सेकंड विद्यालय से प्रस्तावित मर्ज विद्यालय की दूरी दो किलोमीटर से अधिक है। ऐसे में ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों के लिए प्रतिदिन इतनी दूरी तय कर शिक्षा ग्रहण करना अत्यंत कठिन होगा। इससे उनकी शिक्षा बाधित होगी और कई बच्चे स्कूल जाना छोड़ सकते हैं।

समाजसेवी की इस शिकायत पर शिक्षा विभाग ने गंभीरता से संज्ञान लिया। विभाग द्वारा मामले की जांच कर निर्णय को पलटते हुए मर्जर को स्थगित कर दिया गया है। सदर खंड शिक्षा अधिकारी कृष्ण गोपाल तिवारी ने लिखित सूचना जारी करते हुए बताया कि खुरुहूजा सेकंड विद्यालय का मर्जर अब नहीं किया जाएगा और पूर्व की भांति शिक्षण कार्य जारी रहेगा।

इस निर्णय के बाद विद्यालय के छात्र-छात्राओं, अभिभावकों और शिक्षकों में हर्ष की लहर दौड़ गई। सभी ने समाजसेवी सुधांशु मोहन ओझा की इस पहल की भूरी-भूरी सराहना की। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते सुधांशु ओझा ने यह कदम न उठाया होता तो गांव के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था पर संकट आ सकता था।

यह घटनाक्रम दर्शाता है कि समाज में सजग नागरिकों और जनप्रतिनिधियों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है। सुधांशु मोहन ओझा जैसे समाजसेवी आज भी समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।