आरक्षण को चुनौती देने के लिए चंदौली जिले में आयीं 309 आपत्तियां, बढ़ा अधिकारियों के लिए सिरदर्द
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चंदौली जिले में जिला प्रशासन की ओर से जारी आरक्षण सूची सवालों के घेरे में है। जिले में चार दिनों में 309 आपत्तियां आई हैं। खासतौर से प्रधान पद का आरक्षण लोगों को रास नहीं आ रहा। इससे आपत्तियों की बाढ़ आ गई है।
जिले के अलग अलग ब्लाकों में स्थिति यह है कि एक-एक गांव के लिए कई व्यक्तियों की ओर से ऑनलाइन व ऑफलाइन आपत्ति दाखिल की गई है। इससे अधिकारियों के लिए चुनौती बढ़ गई है।
जिले में आ चुकीं 309 आपत्तियां
शासन ने इस बार आरक्षण को लेकर चक्रानुक्रम प्रणाली में बदलाव किया है। ग्राम प्रधान, बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य और ब्लाक प्रमुख पद पर 1995 से 2015 तक के आरक्षण और संबंधित वर्ग की आबादी के अनुसार ही प्रशासन को रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया था। जिला प्रशासन की ओर से तीन मार्च को आरक्षण सूची का पहला प्रकाशन किया गया।
अधिकारियों का दावा है कि शासन के मानक के अनुरूप ही आरक्षण सूची तैयार की गई है लेकिन ग्राम प्रधान व जिला पंचायत सदस्य पद का आरक्षण लोगों के गले नहीं उतर रहा है। लोग अपने स्तर से आंकलन कर रहे हैं। वहीं चार से आठ मार्च तक जिले में 309 आपत्तियां आईं। इससे पूर्व के चुनावों में आरक्षण को लेकर कभी इतनी आपत्तियां नहीं आई थीं। ऐसे में अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
आरक्षण को चुनौती
सबसे अहम यह कि जिले की कई ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जहां कई व्यक्तियों ने ऑनलाइन व ऑफलाइन आपत्ति दाखिल कर आरक्षण को चुनौती दी है। लोगों ने ब्लाक मुख्यालय, डीपीआरओ दफ्तर और अपर जिलाधिकारी के यहां भी आपत्ति प्रस्तुत की है। इसमें सबसे अधिक आपत्तियां ग्राम प्रधान पद के लिए हैं। डीपीआरओ दफ्तर में मंगलवार को बंद कमरे में अधिकारियों ने मंत्रणा की। इस दौरान आपत्तियों को लेकर चर्चा हुई।
समिति के लिए माथापच्ची का काम
जिला पंचायत राज अधिकारी ब्रह्माचारी दुबे ने बताया कि आरक्षण को लेकर 309 आपत्तियां आई हैं। अधिकांश ग्राम प्रधान पद के आरक्षण के खिलाफ हैं। जिला स्तरीय समिति इन पर गंभीरता से विचार कर रही है। कहीं त्रुटि पाई गई तो इसे दूर किया जाएगा। इसके बाद अंतिम सूची का प्रकाशन किया जाएगा।