आ रहे हैं नगर निकाय चुनाव पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष, करिए अपनी शिकायत, दर्ज कराइए आपत्ति
 

गौरतलब है कि नगर निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग के राजनैतिक प्रतिनिधित्व के संबंध में अनुभवजन्य साक्ष्य एकत्रित किया जाना है। उस हेतु उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग के द्वारा यह निर्णय किया गया है ।
 

 23 फरवरी को वाराणसी मंडल में होगी मीटिंग

मंडल के जिलाधिकारियों के साथ करेंगे बैठक

आयोग के सामने के रख सकते हैं अपनी बात

उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति राम औतार सिंह व सदस्य बृजेश कुमार 23 फरवरी को अपराह्न 3 बजे से वाराणसी में मंडल के जिलाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे।

 उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति राम औतार सिंह तथा सदस्य बृजेश कुमार 23 फरवरी दिन गुरुवार और 24 फरवरी दिन शुक्रवार को वाराणसी आयेंगे तथा अपराह्न 3 बजे से वाराणसी एवं आजमगढ़ मंडल के जिलाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। रात्रि विश्राम करने के पश्चात जनपद मिर्जापुर के लिए प्रस्थान करेंगे।
    

उक्त के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग की सचिव रश्मि सिंह ने संबंधित मंडल कमिश्नरों एवं जनपदों के जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व के सन्दर्भ में अनुभाविक जांच एवं अध्ययन के साथ निकायवार एवं अनुपातिक आरक्षण के बाबत समकालीन आख्या के लिए यदि किसी व्यक्ति, संस्था, पार्टी को अपना पक्ष प्रस्तुत करना है, तो वह लिखित, मौखिक आकलन आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं, जिससे वास्तविक निष्कर्ष तक पहुंचा जा सके।

गौरतलब है कि नगर निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग के राजनैतिक प्रतिनिधित्व के संबंध में अनुभवजन्य साक्ष्य एकत्रित किया जाना है। उस हेतु उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग के द्वारा यह निर्णय किया गया है कि उत्तर प्रदेश के सभी जिलों से नगर निकायों के जनप्रतिनिधि जैसे मेयर, उपमेयर, पूर्व मेयर,  पूर्व उप मेयर, नगर पालिका अध्यक्ष, नगरपालिका उपाध्यक्ष, पूर्व न.पां. अध्यक्ष, पूर्व न.पा.उपाध्यक्ष, नगर पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष, सदस्य व कुछ जातीय संगठनों, संस्थाओं, पक्ष व विपक्ष के प्रतिनिधियों का मत राजनीतिक आरक्षण के संबंध में जाना जाय।

जिलाधिकारियों से अपेक्षा की गयी है कि वह उपरोक्त सभी व्यक्तियों व संस्थाओं का लिखित अभिमत लेकर आयोग को सात दिन के भीतर दे देंगी। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि आयोग के द्वारा मंडल स्तर पर की जाने वाली सभा गोष्ठी में भी ऐसे व्यक्ति अपना लिखित अभिमत व विचार आयोग को स्वयं उपस्थित होकर प्रस्तुत कर सकते हैं।