रेल पटरी के किनारे से गुजरने वाली नहर को पाटने से हर साल डूबेगी फसल
नहर पाटने का किसान कर रहे विरोध
सो रहे हैं इलाके के सांसद व विधायक
इस समस्या पर किसानों को समर्थन देने की है जरूरत
नहर पाटने से किसानों की हर साल डूबेगी फसल
चंदौली जिले के पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे जंक्शन से पटना रेलवे रूट पर पड़ने वाले धीना रेलवे फाटक के समीप रेल पटरी के किनारे से गुजरने वाली नहर को पाटने के लिए आए रेलवे अधिकारियों और किसानों के बीच काफी समय से विवाद चल रहा है। ग्रामीणों ने घोसवां नहर को पाटने का काम रोकते हुए कहा है कि इससे किसानों की हजारों एकड़ जमीन डूब जाएगी।
किसानों का कहना है कि रेलवे लाइन के पास से घोसवां ड्रेन गुजरी है। यह लगभग 19.3 किलोमीटर लंबी है और खराठी सिकठा गांव के पास डायल ताल से निकलकर ड्रेन में मिल जाती है। इसी नहर से डिग्घी, कपसिया, बरडीहा, भैसउर, डैना, भैंसा, गोरखां, भरहुलिया, बेटाडीह, खेतकहनी, जेवरियाबाद, घोसवां, जमुड़ा, महारानी बाकरपुर, पुरवां व रेवसां जैसे कई गांव के खेतों का पानी निकलता है। इसको पाटे जाने से गांव की 10,000 हेक्टेयर से अधिक खेत की फसल जलमग्न हो जाया करेगी।
बताया जा रहा है कि रेलवे की ओर से साइडिंग करने के कारण रेल की पटरी के किनारे मिट्टी डालकर पाटा जा रहा है। इसी की वजह पटरी के दक्षिण ओर मौजूद घोसवां नहर भी पाटी जा रही है। बुधवार को डीआरएम के निर्देश पर आए रेल अधिकारियों और ठेकेदारों का किसानों ने विरोध किया। समस्या को देखते हुए दानापुर के डीआरएम ने रेल के तमाम अधिकारी मौके पर गए और बंधी डिवीजन के एसडीओ राजेश कुमार और लेखपाल सहित तमाम लोगों के पहुंचने के बाद काफी देर तक इनके बीच किसानों के साथ वार्ता हुई, लेकिन वार्ता सफल नहीं हुई।
किसानों ने कहा इस मामले को डीएम के समक्ष रखा जाएगा और किसी भी हालत में नहर को पाटने नहीं दिया जाएगा। किसानों के हितों की रक्षा सर्वोपरि है। रेलवे अपना कार्य करने के लिए कोई और रास्ता निकाले। खेती और किसानी को बरबाद करने वाली रेलवे की मनमानी नहीं करने दी जाएगी।