नेशनल डॉक्टर्स डे पर कोरोना काल में लोगों के लिए देवदूत बने डॉक्टर
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देश में हर साल 1जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाता है । भारत में इसकी शुरुआत वर्ष 1991 में हुई। महान चिकित्सक डॉ बीसी रॉय के जन्मदिन व पुण्यतिथि (एक ही दिन) पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने और चिकित्सकों के सम्मान में इस दिवस को मनाया जाता है।
डॉक्टर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे मरीजों का न सिर्फ इलाज करते हैं, बल्कि उन्हें एक नया जीवन भी देते हैं । इसलिए उन्हें धरती पर भगवान का दर्जा दिया गया है, जिससे उन्हें जीवनदाता भी कहा जाता है।
कोरोना वायरस सिर्फ शहर तक ही सीमित नहीं रहा, कुछ समय पहले यह गाँव में भी पैर पसार चुका था। ऐसे में गाँव के लोगों की रक्षा करने के लिए उनके देवदूत बनकर डॉक्टर जे पी गुप्ता सामने खड़े नजर आये। खुद कोविड पाजिटिव हुए, लेकिन गाँव के लोगों की रात–दिन सेवा कर अपना धर्म निभाया।
डॉ. गुप्ता ने साल 2003 में सीएसएम विश्वविद्यालय से एमबीबीएस किया । साल 2007 में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) धानापुर ब्लॉक में अधीक्षक के पद पर तैनात हुए। डॉ गुप्ता बताते हैं कि धानापुर की आबादी करीब सवा दो लाख है । इस सीएचसी को कोविड सेंटर नहीं बनाया गया है, लेकिन संक्रमण से बचाने के लिए सुविधायें उपलब्ध कराना, बाहर से आयें व स्थानीय लोगों को खोज कर जांच करना शुरू किया।
पॉज़िटिव व्यक्ति की सूचना मिलने पर उनके घर जाकर उनका, परिवार व आस-पास के लोगों का मनोबल बढ़ाते थे । उन्हें संक्रमण से घबराने की नहीं बल्कि सावधानी, बचाव की जानकारी देते थे। साथ ही कोविड मरीज की दो सप्ताह तक देखभाल व बुनियादी सुविधायेँ उपलब्ध कराते थे। दूसरी लहर में अपने स्टाफ के कर्मचारियों को मरीजों के प्रति सहानुभूति के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित करता था ।
संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए डॉक्टर पीछे नहीं हटेंगे।इनकी रक्षा करना हमारा धर्म है | कई रातें जागकर बिताये, जिनका ऑक्सीज़न लेवल कम होता और एंटीजन टेस्ट पॉज़िटिव रहता उनको तुरंत ऑक्सीज़न सपोर्ट देकर एल -2 में रेफर करने के बाद, उनकी प्रतिदिन रिपोर्ट देखना। कोरोना की दूसरी लहर में इस वर्ष ब्लॉक में 21000 एंटीजन और 18000 लोगों की आरटीपीसीआर से जाँच हुई। जिसमें 700 लोग गों पॉज़िटिव हुए।
इस दौरान कोशिश यही रही कि सभी को बेहतर इलाज देकर सुरक्षित बनाया जाए। जिसमें दो लोगों का ऑक्सीज़न लेवल कम होने के का कारण मृत्यु हो गयी । बाकी ग्रामीण के लोगों आज बिलकुल सुरक्षित व स्वस्थ है।
एडिसनल सी एमओ डी के सिंह ने बताया – ग्रामीणों से यह अपील की गई कि है की टीका के प्रति अगर कोई भ्रम या स्वास्थ्य सम्बन्धी संबधि कोई समस्या है तो केंद्र पर आयें, टीका की पूर्ण जानकारी व स्वास्थ्य परीक्षण के उपरांत ही टीका लगेगा। गाँव के हर क्षेत्र में हर रोज आशा ,एएनएम व आशा संगिनी के साथ रैपिड रिस्पांस टीम के साथ जाकर अप्रैल 2021 से अब तक लगभग 3000 लक्षण विहीन मरीजों को कोरोना मेडिसिन किट जांच सर्दी, ख़ासी, बुखार, जुकाम की दवा किट वितरित की जा चुकी है। इसके साथ ही ग्रामीण व अति पिछड़े क्षेत्र में कोरोना संक्रमण को देखते हुए तीसरी लहर के मद्देनजर 26 मई को कोविड मरीजों के लिए 50 बेड के वार्ड के साथ ऑक्सीज़न प्लांट सहित कोविड एल वन प्लस शुरू किया गया है ।
इस सुविधा से ग्रामीण क्षेत्र में गरीब और आम लोगों को कोरोना के इलाज के लिए कहीं और भागने की जरूरत नहीं होगी। समुचित इलाज व ऑक्सीज़न युक्त बेड की व्यवस्था की गयी है जिससे आने वाले दिनों में कोरोना से एक भी जनहानि न हो ।
गांव में शिविर लगाकर ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण किया।बाहर से आ रहें लोगों पर निगाह रख कर उन्हें शिविर में ले जाकर उनकी जांच की गई। साथ ही गर्भवती को गृह सुविधा दी गई ,लॉक डाउन में उनके घर जाकर जांच की सुविधा दी गई। स्थिति के अनुसार ही गर्भवती को सीएचसी पर लाया गया। इस ब्लॉक की ओपीडी एक भी दिन बंद नहीं हुई ।
अप्रैल में हर रोज 40 से 50 मरीज देखे जा रहे थे और आज ओपीडी में लगभग 130 से 150 मरीजों की आने की संख्या है। इस वायरस ने लोगों की हिम्मत को तोड़ा है। उन्हें जागरूक करना होगा। कोविड मरीज से डरना नहीं है। जानकारी और बचाव से कोरोना से लड़ना है। कोविड नियम का पालन करें अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ। हम सभी को मिल कर इससे जीतना है।