प्रधानाचार्य ने नहीं जमा की फीस, भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा से वंचित हुए 1 हजार छात्र
 

इस संबंध में विद्यालय के प्रधानाचार्य अनिल सिंह ने बताया कि जिन बच्चों की परीक्षा नहीं हुई है, उनकी परीक्षा पुनः आयोजित कराई जाएगी और यदि परीक्षा नहीं होती है तो उन्हें पैसा वापस कर दिया जाएगा।
 

छात्रों ने विद्यालय पर किया हंगामा

फीस वापस करने की विद्यालय प्रशासन से मांग

उच्च अधिकारियों से जांच की मांग

   सैयदराजा नेशनल इंटर कॉलेज का मामला

चंदौली जिले का सैयदराजा नेशनल इंटर कॉलेज में शांतिकुंज द्वारा आयोजित भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा से वंचित छात्रों ने विद्यालय पर हंगामा कर विद्यालय प्रशासन पर कई तरह के आरोप लगाए। बताया जा रहा है कि परीक्षा के नाम पर लिया गया शुल्क का पैसा आयोजक को न देने कारण परीक्षा से एक हजार छात्र वंचित रह गए।

 बता दें कि सैयदराजा नेशनल इंटर कॉलेज में शांतिकुंज हरिद्वार के माध्यम से भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा का आयोजन किया गया था, जिसमें इस परीक्षा में सम्मिलित होने वाले छात्रों की परीक्षा शुल्क ₹40 निर्धारित की गई थी। इसमें इसमें विद्यालय में कुल लगभग 2000 छात्रों द्वारा परीक्षा के लिए ₹40 की दर से शुल्क जमा कर चुके थे। लेकिन विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा परीक्षा आयोजन समिति को केवल 1025 बच्चों का ही शुल्क जमा किया गया, जिसके कारण परीक्षा के दौरान केवल 1025 बच्चों के कॉपी पेपर आए थे और उसमें 1025 बच्चे  ही परीक्षा में सम्मिलित हुए शेष बच्चे परीक्षा से वंचित रह गए।

वहीं बच्चों का कहना है कि जब मेरे द्वारा परीक्षा शुल्क जमा किया गया था तो हमारी परीक्षा क्यों नहीं हुई। प्रधानाचार्य ने  काम पेपर कॉपी आने का हवाला देकर बच्चों को बहलाते रहे, लेकिन असलियत तब पता चली जब आयोजक मंडल से बात की गयी। उन्होंने बताया कि विद्यालय प्रशासन द्वारा केवल 1025 बच्चों के ही पैसे जमा किए गए थे और उतनी कॉपी पेपर की व्यवस्था की गई थी।

इस संबंध में विद्यालय के प्रधानाचार्य अनिल सिंह ने बताया कि जिन बच्चों की परीक्षा नहीं हुई है, उनकी परीक्षा पुनः आयोजित कराई जाएगी और यदि परीक्षा नहीं होती है तो उन्हें पैसा वापस कर दिया जाएगा।

इस संबंध में जब परीक्षा के जिले के संयोजक हरिहर विश्वकर्मा से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। नहीं तो पेपर कॉपी पर्याप्त थे और परीक्षा तुरंत ही करा ली जाती। लेकिन यदि बच्चों से पैसा लिया गया है और उनकी परीक्षा नहीं हुई है, तो संस्था द्वारा पुनः ऐसे बच्चों की परीक्षा कर ली जाएगी, लेकिन उसके शुल्क जमा होने के बाद ही परीक्षा होगी।

अब ऐसी स्थिति में क्या कहा जाए कि बच्चों ने जब फीस जमा की और परीक्षा से वंचित रह गए तो इसमें कहीं ना कहीं विद्यालय प्रशासन की लापरवाही है और पैसा खाने का खेल किया जा रहा है। जिसकी वजह से शनिवार को इस परीक्षा कई छात्र वंचित हुए हैं।