आजीविका मिशन से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के आंगनवाड़ी की पंजीरी बनाने का मिलेगा काम
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चंदौली जिले में कोरोना काल में शक्ति स्वरूपा महिलाएं मुश्किल में फंसे परिवार के जीवन का आधार बन रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की कुशल महिलाएं जीवन रक्षक मास्क से लेकर बेसिक स्कूलों के बच्चों का यूनिफार्म बनाकर अपनी उपयोगिता साबित कर रही हैं। अब इन्हें और मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के लिए जिले प्रत्येक नौ ब्लाकों में पोषाहार (पंजीरी) कारखाना स्थापित कर रोजगार देने की तैयारी कर शुरू की जा रही।
अधिकारियों ने कहा है कि बाकायदा इसके लिए जिला प्रशासन ने प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया है। ताकि इस पर जल्द से जल्द अमल किया जा सके।
चंदौली
जिले में कुल 8002 समूह हैं, इस समूह से तकरीबन 80 हजार से अधिक महिलाएं जुड़कर सिलाई कढ़ाई से लेकर मास्क निर्माण में अपनी भूमिका निभा रही हैं। इसमें लगभग 20,000 से अधिक महिलाओं को तकनीकी रूप से प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। इसमें लगभग 1000 से अधिक महिलाएं सिलाई और कढ़ाई में प्रशिक्षित हैं।
कहा जा रहा है कि इन महिलाओं को आगे भी हमेशा रोजगार मिलता रहे इसके लिए जनपद के सभी विकास खंडों में आंगनबाड़ी विभाग व राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत पंजीरी बनाने का कारखाना शुरू किया जाएगा। इससे समूह महिलाओं को न सिर्फ रोजगार मिलेगा बल्कि वह आर्थिक रूप से मजबूत होंगी। कारखाना खोलने के बाद 4800 से 6000 तक प्रति महिलाएं इनकम कर सकती हैं।
जिले में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने कोरोना काल में चुनौती को स्वीकार कर अपने हुनर से न सिर्फ मास्क और परिषदीय स्कूलों के बच्चों का यूनिफार्म बनाकर अपनी उपयोगिता साबित की बल्कि घर के दो वक्त की रोटी का इंतजाम किया। इससे उनकी आर्थिक सेहत भी सुधरी है। कोविड 19 के प्रभावी रोकथाम के लिए शासन स्तर से एक लाख 30 हजार मास्क बनाने का लक्ष्य मिला था जो उसे पूरा कर लिया। 72 हजार 980 से अधिक मास्क स्वास्थ्य विभाग, डीपीआरओ व अन्य सरकारी विभागों के जरिए वितरित हो चुके हैं। इस तरह महिलाएं मास्क बनाकर चार लाख रुपये की आय कर चुकी हैं। इस वर्ष शासन ने दो लाख 29 हजार स्कूल ड्रेस सिलने की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सौंपी है। ड्रेस के जरिए महिलाओं को तकरीबन 25 लाख रुपये की कमाई होगी।
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को विभिन्न माध्यमों से जोड़कर कार्य दिए जा रहे है ?।
आजीविका मिशन के जिला समन्वयक एमपी चौबे का कहना है कि समूह के अलावा बाकी महिलाओं को भी प्रशिक्षित कर दक्ष बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए जल्द ही जनपद में पंजीरी(पोषाहार) बनाने के लिए सभी नौ ब्लाकों में कारखाना खोले जाएंगे और महिलाओं को जोड़कर स्वरोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।