महिला होने पर गर्व करें और हौसला न हारें, फिर सब कुछ आसान हो जाएगा
निशा वर्मा के उपनिरीक्षक बनने की कहानी
गर्व से कहो कि मैं लड़की हूं
लड़की मां बाप के लिए बोझ नहीं
चंदौली जिले के सैयदराजा थाने में तैनात निशा वर्मा ने सिपाही के पद पर होते हुए भी अपने हौसले की उड़ान जारी रखी और मंजिल को पाने के लिए तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए कड़ी मेहनत की और पुलिस की कांस्टेबल से उपनिरीक्षक बन गयी। इसी जज्बे से उसने अपने माता-पिता के सपनों को साकार करने की भरपूर कोशिश की।
उपनिरीक्षक के पद पर चयनित निशा वर्मा ने चंदौली समाचार से बातचीत के दौरान अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर देश भर की लड़कियों एवं महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि हमें इस बात का गर्व होना चाहिए क कि हम लड़की हैं। आज देश की राष्ट्रपति भी एक महिला है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों में भी महिलाओं ने जज्बा कायम रखा है। इसलिए यदि महिला अपने मन में ठान ले तो कोई भी काम मुश्किल नहीं। ऐसी लड़की कभी अपनी मां बाप के लिए बोझ नहीं बन सकती। इसलिए गर्व से कहना चाहिए कि मैं लड़की हूँ।
पुलिस विभाग में नौकरी करते हुए अपने मां-बाप के सपने को पूरा करने के उपनिरीक्षककी परीक्षा दी और काम करते हुए उच्च पर तैनात होकर अपनी मेहनत को सफल कर लिया।
निशा वर्मा ने बताया कि रायबरेली के जिले के परामरपुर गांव के मध्यम वर्गीय परिवार की रहने वाली गांव की एक बेटी ने गांव के ही स्कूल से शिक्षा ग्रहण करने के बाद पिता जगन्नाथ वर्मा व माता केशा देवी की पहल पर पुलिस की नौकरी ज्वाइन कर ली।
नौकरी के दौरान कई बार ड्यूटी से थकने के बाद तैयारी का मन नहीं होता था तो ऐसे में मां-बाप से हिम्मत मिलती थी। मां हमेशा हौसला देती थी और कहती थी कि धीरे-धीरे करती रहो, मंजिल जरूर मिलेगी। इसी के कारण 2023 में सलेक्शन उपनिरीक्षक के पद पर हो गया है। 12 मार्च को उपनिरीक्षक की वर्दी भी मिल जाएगी।
निशा वर्मा ने कहा कि यदि मैं पुलिस विभाग में ना होती तो क्षेत्र की गरीब से गरीब महिला और परिवार के लोगों से सामना न होता। क्योंकि इस विभाग में होने के कारण हर रोज महिलाओं से मिलना होता है। उनकी समस्याओं को दूर करने के साथ-साथ इस विभाग में महिलाओं को ऊंचाई के तरफ ले जाने के लिए प्रेरित भी करती रहती हूं।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी महिलाओं से यह अपील करती हूं कि यदि वह मन में ठान लें तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं है।