मोती की खेती व मधुमक्खी पालने से बढ़ सकती है कई गुनी आय,ऐसे करें उपाय
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चंदौली जनपद के सोता गांव में रविवार को किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। विशेषज्ञों ने प्रगतिशील किसानों को मोती की खेती, मधुमक्खी व बकरी पालन के बारे में जानकारी दी। इससे होने वाले लाभ से अवगत कराया।
मोती की खेती के विशेषज्ञ श्वेतांक पाठक ने कहा कि मोती की खेती से किसानों की आय तीन गुना तक हो जाएगी। वहीं धान व गेहूं की पारंपरिक खेती के साथ मधुमक्खी पालन व बकरी पालन से अतिरिक्त आय होगी।
मोती की खेती के विशेषज्ञ श्वेतांक पाठक लोगों से जानकारी साझा करते हुए कहा कि किसान तीन तरह की मोती की खेती कर सकते हैं। गोलाकार, अर्धगोलाकार व डिजाइनदार मोती। इसे तैयार करने के तरीके व अवधि अलग-अलग है। गड्ढे में पानी के अंदर सीप में मोती तैयार होती है। यदि किसान सही तरीके से खेती करें, तो लागत से कई गुना अधिक कीमत प्राप्त कर सकते हैं। मोती तैयार होने पर बाजार की चिता करने की भी जरूरत नहीं है। व्यापारी खुद संपर्क कर मोती ले जाएंगे और घर बैठे तीन गुना अधिक आय होगी।
श्वेतांक पाठक ने कहा सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए खेती में विविधिकरण को बढ़ावा दे रही है। मोती की खेती इसका कारगर तरीका है। इसके लिए बहुत ज्यादा स्थान की भी जरूरत नहीं पड़ती। 15 फीट लंबे, 12 फीटे चौड़े और छह फीट गहरे गड्ढे में मोती पैदा की जाती है। किसान को 11 माह तक इसकी अच्छे तरीके से देखभाल करनी होगी।
इसके साथ ही मोहित आनंद ने मधुमक्खी पालन के बारे में जानकारी दी। बताया मधुमक्खी से 10 तरह की वस्तुएं प्राप्त होती हैं। शहद मधुमक्खी से मिलने वाला सबसे सस्ता उत्पाद है। इसके अलावा पराग, गोंद आदि तमाम तरह की वस्तुएं मिलती हैं। उक्त वस्तुएं औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं। इनका इस्तेमाल दवा बनाने में किया जाता है। जिस इलाके में मधुमक्खी पालन किया जाता है, वहां फसलों का उत्पादन भी अच्छा होता है। दरअसल, मधुमक्खियों की वजह से पौधों में परागण की प्रक्रिया काफी तेज हो जाती है। इससे उत्पादन बढ़ जाता है।
श्यामनारायण पाठक, नरेंद्र सिंह, सोनू पाठक, रोहित आनंद, मुन्ना पाठक, अरविद मिश्र, अभिषेक पांडेय, नरेंद्र तिवारी, अश्वनी, आराध्या पाठक आदि लोग यहाँ मौजूद रहे ।