आरोपी का नाम खारिज कर अज्ञात बना देती है शहाबगंज पुलिस, एसपी कार्यालय पर किया गया प्रदर्शन

ट्रैक्टर चालक की लापरवाही से ट्रैक्टर के नीचे आ गया और गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसे परिजनों ने  प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शहाबगंज ले गए जहां उपचार के दौरान नागेश की मौत हो गई।
 

शहाबगंज थाना प्रभारी की बड़ी लापरवाही

पीड़ित परिजनों ने एसपी कार्यालय पर की शिकायत

निरीक्षक शेषधर पांडेय  के पहल से शांत हुआ मामला

पीड़ित परिजन का आक्रोश हुआ शांत

अभी भी इंस्पेक्टर की इमानदारी पर नहीं है लोगों को भरोसा

चंदौली  जिले के पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर शहाबगंज थाना की भोंडसर  गांव के निवासी शहाबगंज थाना प्रभारी की लापरवाही को लेकर कार्यालय पर प्रदर्शन करने लगे। भीड़ और आवाज को सुनकर कार्यालय पर मौजूद निरीक्षक शेषधर पांडेय  पहुंच कर तत्काल समस्या को सुनने के बाद थाना प्रभारी  को सारी बात बतायीं और तत्काल समस्या का निदान करने का को कहा तब जाकर पीड़ित परिजन शांत हुए।

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आपको बता दें कि शहाबगंज थाना क्षेत्र के भोड़सर निवासी रविंद्र चौहान पुत्र भूलाई चौहान के 10 वर्षीय पुत्र  प्राइमरी पाठशाला  से पढ़कर घर आ रहा था। तभी एक ट्रैक्टर चालक की लापरवाही से ट्रैक्टर के नीचे आ गया और गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसे परिजनों ने  प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शहाबगंज ले गए जहां उपचार के दौरान नागेश की मौत हो गई।

 सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर विधिक कार्यवाही में जुट गई। वहीं ट्रैक्टर सहित चालक को वहां मौजूद लोगों ने पड़कर पुलिस को सुपुर्द कर दिया था, लेकिन जब एफआईआर दर्ज किया गया तो उसमें ट्रैक्टर मालिक व चालक अज्ञात नाम पता लिख दिया गया था। इसी बात को देखकर पीड़ित परिजन नाराज हो गए और  एसपी कार्यालय पर पहुंचकर प्रदर्शन करने लगे।

तभी मौके पर पहुंचे निरीक्षक शेषधर पांडेय ने सारी समस्याओं को सुनने के बाद तुरंत एफआईआर में हुई गड़बड़ी को दूर कर परिजनों को देने की बात कही तब जाकर पीड़ित परिजन माने और विधिक कार्यवाही में सहयोग करने के लिए कहा।  

वहीं परिजनों का आरोप था कि थाना प्रभारी द्वारा ट्रैक्टर मालिक तथा चालक को बचाने के लिए ऐसा एफ आई आर दर्ज किया गया था लेकिन इस प्रदर्शन को देखते हुए प्रभारी निरीक्षक शहाबगंज ने कहा कि तत्काल एफ आई आर में संशोधन कर उनका नाम डालकर विधि कार्यवाही की जा रही है, तब जाकर मामला शांत हुआ।

लोगों ने कहा कि पुलिस अपनी सेटिंग से ऐसे ही दोषियों को बचाने का काम करती है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय बचाने में सहयोग करेगी तो गरीब व लाचार लोग अपनी फरियाद लेकर कैसे पुलिस के पास जाएंगे। यदि परिजन एफआईआर पढ़े नहीं होते तो उनके साथ प्रभारी निरीक्षक द्वारा छल कर ही दिया गया था। अब देखना है कि इस मामले को उच्चाधिकारी किस नजरिए से देखते हैं और थाना प्रभारी एफआईआर की गड़बड़ी कैसे दूर करते हैं।