अलविदा या हुसैन की सदा के बीच दफ्न हुए ताजिए

मुहर्रम के इस जूलूस में लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और मातम करके इमामे हुसैन को याद किया। जूलूस में शामिल लोगों ने आंसुओं के बीच अलविदा या हुसैन या हुसैन अलविदा के नारे लगाए।
 

नम आंखों के साथ अजादारों ने किया इमाम को आखिरी सलाम

अलम और ताबूत का निकला जूलूस

चंदौली जिला मुख्यालय मुहर्रम के आखिरी आशूरा के दिन ऐसे जलूस का अलम,“रहे तो अगले बरस हम हैं और ये ग़म है, जो चले बसे तो ये अपना सलाम आखिर है” इस दुआ और लब्बैक या हुसैन की सदाओं के साथ  नगर के अजादारों ने नम आंखों के साथ ताजियो के फूल चुनकर करबला में दफन कर दिए।

आज यौमे आशूरा अजाखाना ए रजा से ताजिये और अलम का जूलूस निकाला गया। जो कि बाजार, बबुरी रोड, एसपी आफिस और डीएम कार्यालय होता हुआ बिछियां स्थित करबला में दफन कर दिया गया। मुहर्रम के इस जूलूस में लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और मातम करके इमामे हुसैन को याद किया। जूलूस में शामिल लोगों ने आंसुओं के बीच अलविदा या हुसैन या हुसैन अलविदा के नारे लगाए।

आशूरा का दिन मुहर्रम का सबसे खास दिन होता है । इसी दिन पैगंबर साहब के नवासे इमाम हुसैन करबला में शहीद हुए थे। इस मौके पर मौलाना ने सभी को इमाम हुसैन की शिक्षाओं पर चलने का संदेश दिया। उन्होने कहा कि मुहर्रम सिर्फ एक पर्व नहीं है। मुहर्रम बुराई पर अच्छाई की जीत औऱ बलिदान का प्रतीक है । हमें हमेशा इमाम हुसैन की बातों को पर अमल करने की कोशिश करनी चाहिए।

इस मौके पर डा गजन्फर इमाम, रियाज अहमद, मोहम्मद रजा, जैगम इमाम, दानिश, वकार सुल्तानपुरी इत्यादि मौजूद रहे।