कृषि रक्षा विभाग की पहल, धान की फसल बचाने के लिए दिए टिप्स
जिला कृषि रक्षा अधिकारी स्नेह प्रभा ने दी जानकारी
विभिन्न कीटों से बचाव हेतु एडवाइजरी कर दी जारी
इन रोगों व कीटों से बचाव करने में है मददगार
चंदौली जिले की जिला कृषि रक्षा अधिकारी स्नेह प्रभा ने बताया कि इस समय जनपद में धान की फसल में बालियों के निकलने का समय आने वाला है। अतः जनपद के कृषक भाइयों को विभिन्न सामयिक कीटों के प्रबन्धन व रोगों के उपचार के लिए संक्षिप्त एडवाइजरी जारी की जा रही है, जिसका लाभ उठाकर रोगों का उपचार कर सकते हैं।
पत्ती लपेटक कीट के उपचार हेतु उन्होंने बताया कि इसमें संतुलित उर्वरको का प्रयोग करना चाहिये तथा खेत में उपस्थित मकड़ियों को संरक्षित रखना चाहिये। दो ताजी पत्ती प्रति हिल नालीनुमा संरचना दिखाई देने पर क्यूनालफास 25 प्रति एएफ को 1.25 लीटर प्रति हेक्टेअर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना लाभदायक होगा।
तना बेधक संबंधित रोग के बारे में बताया कि इस कीट की सूड़ियां तने में छेदकर तने में मध्य में पोषक तत्वों को चूसती है, जिससे पौधों की वानस्पतिक अवस्था में मृत गोभ बनता है।इसके उपचार हेतु इस कीट के अण्डे के झुण्ड या सूड़ी दिखाई पडने पर मोनोक्रोटोफास 36 प्रति एसएल 1.25 लीचर प्रति हेक्टेअर की दर से 500-800 लीटर पानी या क्लोरेन्ट्रानीलीप्रोल 18.50 प्रति एससी 0.5 मिली प्रति लीटर की दर से डालकर छिड़काव करना चाहिये ।
गन्धी कीट
धान के लिए ये एक प्रमुख कीट है। इस कीट का शिशु एवं वयस्क धान की दुग्धावस्था की बालियों से रस चूसते हैं। इसके प्रभाव से धान की बालियों के उपरी लगभग दो तिहाई भाग सफेद होकर सूख जाते हैं तथा दाने नहीं बनते हैं। इस कीट के उपचार हेतु मैलाथियान 5 प्रति धूल या फेनवेलरेट 0.4 प्रति डीपी की 20-25 किग्रा मात्रा प्रति हेक्टेअर की दर से बुरकाव करना चाहिए।
सैनिक कीट
इस कीट की सूंड़ियां बालियों को काटकर गिरा देती है। आद्रता की अवस्था में इसका प्रकोप बढ जाता है। इस कीट के उपचार हेतु कार्बोफ्यूरान 0.3 प्रतिशत सीजी की 20-25 किग्रा मात्रा प्रति हेक्टेअर की दर से खेत में छिड़काव करें।