किसके पास है बिना लाइसेंस व फिटनेस दौड़ने वाले ट्रैक्टर-ट्रालियों का इलाज, सरकार को लगा रहे चूना
हर दिन सड़कों पर दौड़ रहीं ट्रैक्टर ट्रालियां
परिवहन व पुलिस विभाग है उदासीन
कृषि कार्य के नाम पर कामर्सियल उपयोग
केवल 3 ट्रैक्टर हैं कामर्शिल पंजीकृत
आपकों बता दें कि संभागीय परिवहन कार्यालय में 3800 ट्रैक्टर पंजीकृत हैं। इसमें मात्र 3 ट्रैक्टर व्यावसायिक गतिविधियों के लिए पंजीकृत हैं। इनमें से सैकड़ों की संख्या में ऐसे वाहन हैं जिनका फिटनेस फेल हो चुका है और इनका व्यावसायिक इस्तेमाल हो रहा है।
पूर्व के वर्षों में ट्रैक्टर-ट्रालियों के पलटने के हादसे में कई लोगों की जान भी जा चुकी हैं। इसके बावजूद यात्री सवारी के रूप में इस पर रोक नहीं लग रही है। इतना ही नहीं गांव, शहर के साथ-साथ नेशनल हाईवे पर ट्रैक्टर दौड़ रहे हैं।
जानकारी के अनुसार जिले में 3800 ट्रैक्टरों का रजिस्ट्रेशन कराया जा चुका है। इनमें कॉमर्शियल के तहत मात्र तीन ट्रैक्टर-ट्राली ही पंजीकृत हैं। शेष कृषि कार्य के लिए पंजीकृत हैं। वहीं, देखा जाए तो जिले में सौ से अधिक ईंट भट्ठों में अधिकांश भट्ठा संचालकों के पास ट्रैक्टर-ट्रॉली हैं। इनका उपयोग इंटों की ढूलाई में किया जाता है।
सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉलियां ऐसी हैं जिनका उपयोग लकड़ी, बालू, मिट्टी सहित मौरंग- गिट्टी की ढुलाई के लिए किया जाता है। ऐसे में कृषि कार्य के रजिट्रेशन कराकर प्रति वर्ष सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है।