चंदौली का केजी नंदा हॉस्पिटल बना निःसंतान दंपतियों की उम्मीद, मरीजों की लग रही भीड़
निःसंतान दंपतियों की उम्मीद का नया केंद्र
छोटे जिले की बड़ी पहचान बनाने की कोशिश
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीं सफलता की कहानियाँ
डॉक्टर बोले- परिणाम विज्ञान और विश्वास का संगम
चंदौली का केजी नंदा हॉस्पिटल निःसंतान दंपतियों की पहली पसंद
चिकित्सा की दुनिया में मरीज का विश्वास उपचार की शक्ति को कई गुना बढ़ा देता है। इसी भरोसे को साकार करते हुए, चंदौली जिले में स्थित केजी नंदा हॉस्पिटल उन निःसंतान दंपतियों के लिए आशा का केंद्र बन गया है, जो लंबे समय से संतान सुख से वंचित हैं। यह अस्पताल सोशल मीडिया, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर अपनी सफलता की कहानियों के कारण तेजी से चर्चा का विषय बना हुआ है। दावा किया जा रहा है कि यहाँ उपचार करा चुके कई परिवार आज खुशहाल जीवन जी रहे हैं, जिसके चलते देश-प्रदेश ही नहीं, बल्कि विदेश से भी मरीज इलाज के लिए यहाँ पहुँच रहे हैं।
विश्वास और इलाज का संगम
अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले मरीजों और उनके परिजनों के अनुसार, कई लोग वर्षों की निराशा के बाद यहाँ अंतिम उम्मीद लेकर पहुँचे हैं। मरीजों की आस्था इतनी मजबूत है कि कुछ तो उपचार शुरू होने से पहले ही डॉक्टर को "भगवान का रूप" मानने लगते हैं।
अस्पताल के प्रमुख चिकित्सक डॉ. आनंद प्रकाश तिवारी हालाँकि इस बात को खारिज करते हैं। वे कहते हैं कि वे भगवान नहीं, बल्कि एक सेवक हैं जो विज्ञान और ज्ञान के आधार पर इलाज करते हैं। फिर भी, मरीजों की अटूट आस्था और सकारात्मकता यहाँ के माहौल को विशेष बनाती है। अस्पताल में नंबर आने के लिए दिनों तक इंतजार और परामर्श के लिए घंटों लाइन लगना आम बात है।
छोटे जिले से बन रही है बड़ी पहचान
चंदौली जैसा अपेक्षाकृत छोटा और पिछड़ा जिला होने के बावजूद, केजी नंदा हॉस्पिटल की लोकप्रियता दूर-दूर तक फैल चुकी है। सोशल मीडिया पर अस्पताल के वीडियो, मरीजों की प्रतिक्रियाएँ और सफलता की कहानियाँ तेजी से वायरल हो रही हैं। कई दंपतियों ने बताया कि वे दिल्ली, मुंबई जैसे मेट्रो शहरों के महंगे इलाज के बजाय चंदौली को प्राथमिकता देते हैं। यहाँ तक कि कुछ मरीज विदेश से भी इलाज कराने यहाँ पहुँचने का दावा करते हैं, जो इस अस्पताल की बड़ी पहचान को दर्शाता है।
अपॉइंटमेंट और उपचार की प्रक्रिया
मरीजों की भीड़ के कारण अपॉइंटमेंट के लिए लंबा इंतजार और परामर्श तक घंटों प्रतीक्षा करना यहाँ की दिनचर्या का हिस्सा है। कई दंपतियों ने बताया कि उन्होंने कई जगह इलाज कराया, लेकिन सफलता नहीं मिली, जबकि यहाँ आने के बाद धीरे-धीरे परिणाम मिलने लगे।
एक महिला मरीज ने भावुक होते हुए कहा, "हमें लगा था सब खत्म हो गया, लेकिन यहाँ आने के बाद फिर से उम्मीद जगी।" हालांकि, यह मानना जरूरी है कि चिकित्सा प्रक्रिया में सफलता हर मरीज के लिए समान नहीं हो सकती, लेकिन विश्वास की शक्ति इस अस्पताल की सबसे बड़ी पहचान बन चुकी है।
'जादू नहीं, मेडिकल साइंस है': डॉक्टर की सफाई
अस्पताल के प्रमुख चिकित्सक डॉ. आनंद प्रकाश तिवारी ने उन सभी चर्चाओं को खारिज किया, जो इस सफलता को 'जादू' या 'चमत्कार' बताती हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके पास किसी भी तरह की जादुई शक्ति नहीं है।
डॉक्टर तिवारी के अनुसार, जो भी परिणाम मिल रहे हैं वे आधुनिक चिकित्सा पद्धति, गहन जांच, सटीक दवाओं और नियमित वैज्ञानिक उपचार प्रक्रिया का नतीजा हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अस्पताल परिसर में लगातार 15 वर्षों से सुंदरकांड पाठ किया जाता है, जिसे वे आस्था और मानसिक सकारात्मकता का आधार मानते हैं।
उन्होंने कहा, "इलाज विज्ञान से होता है, लेकिन विश्वास मरीज को मानसिक रूप से मजबूत करता है। हम केवल उपचार करते हैं, परिणाम भगवान और प्रकृति पर निर्भर है।" उन्होंने जादू-टोना जैसी बातों को सिरे से नकारते हुए सिर्फ मेडिकल ट्रीटमेंट पर ज़ोर दिया।
केजी नंदा हॉस्पिटल उन दंपतियों के लिए उम्मीद की किरण बन गया है, जिनके लिए संतान सुख एक सपना था। विश्वास, वैज्ञानिक इलाज और सकारात्मक माहौल का यह मेल ही इसे राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का केंद्र बनाए हुए है।