शादीशुदा महिला ने ले लिया फर्जी तरीके से अनुदान, शहाबगंज थाने में दर्ज हो रही FIR 

चंदौली के शहाबगंज थाना इलाके की बड़ौरा गांव की एक विवाहित महिला ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर समाज कल्याण विभाग से शादी अुनदान के 20 हजार रुपए हड़पने की कोशिश की है।
 
शादी अुनदान के 20 हजार रुपए हड़पने की कोशिश

चंदौली के शहाबगंज थाना इलाके की बड़ौरा गांव की एक विवाहित महिला ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर समाज कल्याण विभाग से शादी अुनदान के 20 हजार रुपए हड़पने की कोशिश की है। मामले में जांच पड़ताल के बाद पोल खुलने के कारण महिला के खिलाफ रविवार को शहाबगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराने की बात कही जा रही है। इसके साथ ही साथ विभागीय मिलीभगत व कमीशनखोरी के कारण अपात्रों को सरकारी योजनाओं का गलत तरीके से लाभ देने के मामले में पंचायत सचिव और एडीओ पंचायत के भूमिका के बारे में भी जांच पड़ताल व कार्रवाई की बात चर्चा में आ रही है। 

मामले में बताया जा रहा है कि शहाबगंज के बड़ौरा गांव की रहने वाली बासमती देवी की पुत्री रेखा देवी की शादी वर्ष 2015 में तियरी गांव के रजनीश से हुई है। उन्हें दो संतानें भी हैं। जिनका पंजीकरण तियरी के आंगनाड़ी केंद्र पर दर्ज है। बड़ौरा के बासमती देवी ने समाज कल्याण विभाग में आवेदन देकर वर्ष 2018 में रेखा की शादी के लिए अनुदान का आवेदन किया। अफसरों ने भी खानापूर्ति करके बासमती के खाते में अनुदान का 20 हजार हजार रुपये भेज दिया। जबकि उसकी शादी पहले ही हो चुकी थी। ‌

कहा जा रहा है कि बड़ौरा गांव के रहने वाले मिथिलेश सिंह ने ब्लाक व जिले के अफसरों को संबंधित दस्तावेज देकर शादी अनुदान के लिए दी गई रकम और पात्रता की जांच कराने की गुहार लगाई थी। इसके बाद एडीओ समाज कल्याण उपेंद्र पांडेय ने गांव में जाकर जब मामले में जांच पड़ताल व पूछताछ की तो देखा गया कि रेखा की शादी तीन वर्ष पहले हो चुकी थी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बासमती देवी को अपात्र मानते हुए दी गई सरकारी धनराशि की रिकवरी करने की उच्चाधिकारियों से सिफारिश कर दी। 

मामले में कार्रवाई के पहले विवेचना

शहाबगंज के प्रभारी थानाध्यक्ष केपी सिंह ने बताया कि एडीओ पंचायत की तहरीर के आधार पर महिला के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है। धारा 306 के तहत सरकारी धन को हड़पने के मामले में विवेचना हो रही है। इस कानून के तहत दोषी को अधिकतम पांच वर्ष सजा का प्राविधान है।

इसके साथ ही साथ उक्त योजना का लाभ एक अपात्र व शादीशुदा महिला के नाम पर देने के लिए विभागीय जांच की प्रकिया शुरु हो गई है। ऐसा कहा जा रहा है कि अपात्र के साथ दोषी अफसरों पर भी विभागीय कार्रवाई की जा सकती है।