ऑपरेशन कन्विक्शन में 2 अपराधियों को मिली सजा, सैयदराजा थाने में दर्ज थे दोनों मामले
2003 में दर्ज पशु तस्करी के मामले में रमाशंकर को सजा
2012 में दर्ज मामले में श्यामा सिंह को मिली सजा
2 अदालतों ने 2 अभियुक्तों को सुनाई अलग-अलग सजा
चंदौली: उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर चलाए जा रहे “ऑपरेशन कन्विक्शन” अभियान के तहत चंदौली पुलिस को न्यायिक सफलता मिली है। इस अभियान के अंतर्गत वैज्ञानिक ढंग से की गई विवेचना, सशक्त साक्ष्य संकलन और लोक अभियोजन विभाग की प्रभावी पैरवी के परिणामस्वरूप सैयदराजा थाना क्षेत्र के दो अलग-अलग मामलों में दो आरोपितों को अदालतों ने दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है।
पशु तस्करी के आरोपी को हुई सजा
पहला मामला वर्ष 2003 में दर्ज पशु तस्करी से जुड़ा है। आरोपी रमाशंकर पुत्र लोचन निवासी चन्दोस थाना चांद, कैमुर (बिहार) के खिलाफ थाना सैयदराजा में अपराध संख्या 246/2003 के तहत गोवध निवारण अधिनियम की धारा 3/5ए/8 एवं पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा 11 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था।
मामले की सुनवाई करते हुए सिविल जज (जूनियर डिवीजन)/जेएम न्यायाधीश सुश्री इन्दू रानी ने 5 अगस्त 2025 को फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष की ओर से एपीओ विजय कुमार पांडे, पैरोकार कांस्टेबल राजीव प्रजापति और मॉनिटरिंग सेल प्रभारी निरीक्षक मुकेश तिवारी की प्रभावी पैरवी के चलते अदालत ने रमाशंकर को जेल में बिताई गई अवधि को सजा के रूप में मान्यता देते हुए न्यायालय उठने तक की सजा सुनाई, साथ ही ₹5000 का अर्थदंड भी लगाया। अर्थदंड अदा न करने पर 10 दिनों की अतिरिक्त जेल की सजा भुगतनी होगी।
मारपीट के मामले में भी सजा
दूसरा मामला वर्ष 2012 का है, जिसमें श्यामा सिंह पुत्र स्व. विश्वनाथ सिंह निवासी बेलवनिया, थाना सैयदराजा पर आईपीसी की धारा 323 (मारपीट) व 504 (गाली-गलौज) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। यह अपराध संख्या NCR 82/12 के तहत थाना सैयदराजा में दर्ज हुआ था।
इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट इशरत परवीन फारुकी की अदालत ने 5 अगस्त 2025 को आरोपी को दोषी करार देते हुए न्यायालय उठने तक की सजा और ₹1000 का जुर्माना लगाया। जुर्माना न देने की स्थिति में आरोपी को 2 दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
पुलिस व अभियोजन टीम की सक्रियता रंग लाई
दोनों मामलों में चंदौली पुलिस की प्रभावी मॉनिटरिंग, सटीक विवेचना और अभियोजन पक्ष की सशक्त पैरवी के चलते आरोपी अपने कृत्यों की सजा से बच नहीं पाए। यह “ऑपरेशन कन्विक्शन” की सफलता का प्रतीक है, जिससे न्याय प्रक्रिया में आम जनता का विश्वास और मजबूत हुआ है।