मौनी अमावस्या के दिन पश्चिम वाहिनी गंगा में स्नान का यह है खास महत्व, आप भी जानिए
चंदौली जिले में हैं पश्चिमवाहिनी गंगा
कई राज्यों व जिलों से स्नान के लिए आते हैं लोग
मौनी अमावस्या पर लगता है खास मेला
लाखों लोग लगाते हैं गंगा में डुबकी
वैसे तो देखा जाय तो मौनी अमावस्या के दिन गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों स्नान का विशेष महत्व है और लोग अपने अपने इलाके में अपनी सुविधा के अनुसार स्नान व दान करते रहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन गंगा नदी का जल अमृत के समान हो जाता है। आज के दिन शुभ मुहूर्त में किया गया गंगा स्नान अद्भुत पुण्य प्रदान करता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान करने वालों को पाप से मुक्ति के साथ-साथ सभी दोषों से भी छुटकारा मिलता है। इसीलिए लाखों करोड़ों लोग नदियों में डुबकी लगाते हैं।
मौनी अमावस्या के दिन किए जाने वाले धार्मिक कर्म
आज के दिन प्रातःकाल स्नान नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करें। अगर संभव न हो ता नहाने के पानी में थोड़ा से गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। इस दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए। आज के दिन गरीब और भूखे व्यक्ति को भोजन कराना चाहिए। आज के दिन दान का भी विशेष महत्व होता है। आज के दिन गरीबों व जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गाय के लिए भोजन का दान करना शुभ माना जाता है। इस दिन पितरों का तर्पण करने की भी कुछ स्थानों पर परंपरा देखी जाती है। इससे उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या स्नान का शुभ मुहूर्त
आज मौनी अमावस्या मनाई जा रही है। इस दिन गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंडों में स्नान और दान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। आज स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 08.34 मिनट से लेकर सुबह 09.53 मिनट तक है। इस दौरान स्नान दान का खास पुण्य मिलेगा।
पश्चिमवाहिनी गंगा में स्नान
मौनी अमावस्या ( माघ मेला ) की मान के पीछे कई कई कथायें प्रचलित है । इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था। मनु शब्द से ही मौनी अमावस्या नाम पड़ा है । ऐसी भी मान्यता है कि इस स्नान से मानसिक समस्या, डर या वहम से निजात मिलती है। पूरे नियम से यह व्रत करें तो कुंडली के सभी ग्रह दोष दूर होते हैं। मौनी अमावस्या में व्रत कर मौन रहकर स्नान करने का विशेष महत्व है। एक कथा यह भी प्रचलित है कि भगीरथ जी तप करने के बाद जब माँ गंगा को धरती पर जब अवतरित किया था तो गंगा पूरे वेग से चलीं। वाराणसी होते हुए जब वह बलुआ की तरफ एकाएक पश्चिम की तरफ घूमी तब इनकी रफ्तार थोड़ी कम हुयी। तभी से यहां पश्चिम वाहिनी गंगा तट कहा गया। ऐसे ही कई मान्यताओं को लेकर लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं।