शुरू हो गयी है अमरनाथ यात्रा, जानिए अमरनाथ से जुड़ी कबूतरों वाली रोचक कथा
अमरनाथ यात्रा का है खास महत्व
19 अगस्त 2024 तक चलेगी अमरनाथ यात्रा
लाखों की संख्या में शिव भक्त करते हैं यात्रा
क्या आप जानते हैं दो कबूतरों का रहस्य
अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो गयी है। यह यात्रा 19 अगस्त 2024 तक चलेगी। करीब दो माह की ये यात्रा महादेव के भक्तों के लिए बेहद खास होती है। ये यात्रा श्रीनगर से 15 किलोमीटर दूर करीब 13000 फीट की ऊंचाई पर अमरनाथ की गुफा में पूरी होती है। हर साल लाखों की संख्या में शिव भक्त इस यात्रा पर जाते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमरनाथ यात्रा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही कई रुके हुए कार्यों को भी गति मिलती हैं। यही कारण है कि शिव भक्त इस पूरी यात्रा को बड़े श्रद्धा भाव से पूरा करते हुए बाबा बर्फानी के दर्शन करते हैं। अमरनाथ की खासियत यहां के पवित्र गुफा में बर्फ से शिवलिंग का बनना है।
वहीं हिंदू धर्म में अमरनाथ यात्रा को बेहद शुभ माना गया है और इसके महत्व और नियमों का उल्लेख भी कई धार्मिक ग्रंथों में किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि यह वही जगह हैं जहां भगवान शिव ने मां पार्वती को बहुत से रहस्य बताए थे। अगर आप भी इस बार अमरनाथ यात्रा करने जा रहे हैं, तो उससे पहले यहां पर मौजूद उस गुफा के रहस्य के बारे में जान लीजिए।
अमरनाथ से जुड़ी रोचक कथा
ऐसा कहा जाता है कि एक बार पार्वती जी ने शिव जी से कहा था कि, आप अजर-अमर हैं और मुझे हर जन्म के बाद आपको पाने के लिए नए स्वरूप में आकर फिर से कठोर तपस्या कर के आपको प्राप्त करना होता है। आपके अमर होने का रहस्य क्या है ? मां पार्वती की इस बात को सुनकर शिव जी ने उनसे एकांत और गुप्त स्थान पर अमर कथा सुनने को कहा।
ऐसा भगवान शिव जी ने इसलिए कहा, जिससे कि कोई उनकी अमर कथा न सुन पाए, क्योंकि जो उस कहानी को सुन लेता वह अमर हो जाता। कहा जाता है कि यह जगह अमरनाथ की गुफा ही थी, जहां शिव जी मां पार्वती से ये रहस्य की बात कर रहे थे। इसी के आगे कहा जाता है कि जब भगवान शिव जी ने पार्वती जी को कहानी सुनाना शुरू किया, तो उसमें जगत के सबसे बड़े रहस्यों का भी जिक्र था। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि भोलेनाथ की कथा सुनते-सुनते माता पार्वती सो गई थी और महादेव को इस बात का एहसास नहीं हुआ और वह कथा सुनाते रहे।
मान्यता है कि इस गुफा में पहले से दो सफेद कबूतर मौजूद थे, जो ये कथा सुन रहे थे। जब भगवान शिव ने देखा कि उनकी कथा दोनों कबूतर ने सुन ली है, तो वह उनका वध करना चाहते थे। इसी पर कबूतर ने कहा है कि महादेव अगर आप हमें मार देंगे, तो आपकी अमर कथा का महत्व नहीं रह जाएगा। ऐसे तो प्रभु आपकी कथा असत्य सिद्ध हो जाएगी। कबूतरों की ये बात सुनते ही महादेव ने उन्हें प्राणदान दे दिया।
भोलेनाथ ने उनसे कहा कि तुम सदैव इस स्थान पर शिव पार्वती के प्रतीक चिन्ह के रूप में निवास करोगे। तभी से लेकर ऐसी मान्यता है कि यह कबूतर का जोड़ा अमर हो गया और कई श्रद्धालुओं ने उन्हें यहां पर देखने का दावा भी किया है। इस तरह से यह गुफा अमर कथा की साक्षी हो गई और इसका नाम अमरनाथ गुफा पड़ा।