कब है आषाढ़ अमावस्या.. नोट करें डेट और जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, पितरों का तर्पण करना होगा फलदायी 

हिंदी कैलेंडर का चौथा महीना आषाढ़ का होता है जो कि 23 जून 2024 से शुरू हो चुका है।  इस माह भगवान विष्णु की पूजा -अर्चना का विधान है।  आषाढ़ माह में कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार आते हैं और इसमें आषाढ़ अमावस्या का खास महत्व माना गया है।  
 

हिंदी कैलेंडर का चौथा महीना आषाढ़ का होता है जो कि 23 जून 2024 से शुरू हो चुका है।  इस माह भगवान विष्णु की पूजा -अर्चना का विधान है।  आषाढ़ माह में कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार आते हैं और इसमें आषाढ़ अमावस्या का खास महत्व माना गया है।  आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने का विशेष महत्व होता है। 


 धार्मिक मान्यता के अनुसार अमावस्या तिथि के दिन पितर अपने परिजनों से मिलने के लिए धरती पर आते हैं और ऐसे में यदि उनका विधि-विधान से तर्पण किया जाए तो वह प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देते हैं।  आइए जानते हैं कब है आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि और स्नान-दान का शुभ मु​हूर्त?


आषाढ़ अमावस्या 2024 कब है?


वैदिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 5 जलाई को सुबह 4 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 6 जुलाई को सुबह 4 बजकर 26 मिनट पर होगा।  उदयातिथि के अनुसार आषाढ़ अमावस्या का पूजन 5 जुलाई 2024, शुक्रवार को किया जाएगा। 


आषाढ़ अमावस्या 2024 शुभ मुहूर्त


प्रत्येक अमावस्या की तरह आषाढ़ अमावस्या के दिन भी पवित्र नदी में स्नान व दान का विशेष महत्व माना गया है।  इस दिन यदि सूर्यादय के दौरान गंगा में स्नान किया जाए तो बहुत ही शुभ होता है।  इसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों को दान भी अवश्य करें। 


पंचांग के अनुसार आषाढ़ अमावस्या के दिन शिववास योग का निर्माण हेा रहा है यानि इस दिन भगवान शिव देवी पार्वती के साथ कैलाश पर विराजमान रहेंगे।  ऐसे में आषाढ़ अमावस्या के दिन यदि भगवान​ शिव का भी पूजन किया जाए तो बहुत ही शुभ होता है। 


पितरों का तर्पण करना होगा फलदायी


आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करना बहुत ही शुभ व फलदायी माना गया है।  कहते हैं कि अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं और इस दिन यदि उनका विधि-विधान से तर्पण किया जाए तो वह प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।  जिस घर पर पितरों का आशीर्वाद होता है वहां हमेशा सुख-समृद्धि व खुशहाली बनी रहती है।  ध्यान रखें कि पितरों का तर्पण करने के लिए सबसे शुभ व सही समय सूर्योदय के बाद होता है।