जानिए सुबह उठते ही क्यों किये जाते है हथेलियों के दर्शन ? क्या हैं इसके फायदे
 

नींद खुलते ही बिस्तर पर बैठकर ही दोनों हथेलियों के दर्शन करने से व्यक्ति की ग्रह दशा सुधरती है जिससे सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है एवं आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और आपके सभी कार्य पूर्ण होते हैं।

 

सुबह उठते ही क्यों किये जाते है हथेलियों के दर्शन

क्या हैं इसके फायदे

आपने अपने जीवन में इस बात पर गौर जरूर किया होगा कि जब सुबह की शुरुआत अच्छी होती है तो पूरा दिन अच्छा निकलता है। हमारा दिन हमारे लिए शुभ हो और सोचे हुए कार्य सफल हो जाएं इसके लिए भारतीय ऋषि-मुनियों ने कर(हस्त) दर्शनम का संस्कार हमें दिया है। शास्त्रों में भी जागते ही बिस्तर पर सबसे पहले बैठकर दोनों हाथों की हथेलियों (करतल) के दर्शन का विधान बताया गया है।


हस्त दर्शन के ये हैं फायदे


नींद खुलते ही बिस्तर पर बैठकर ही दोनों हथेलियों के दर्शन करने से व्यक्ति की ग्रह दशा सुधरती है जिससे सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है एवं आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और आपके सभी कार्य पूर्ण होते हैं।


 मान्यता है कि हाथ के अग्र भाग में देवी लक्ष्मी, मध्य में मां सरस्वती एवं हाथ के मूल भाग में परम ब्रह्म परमेश्वर श्री गोविन्द का निवास होता है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि दोनों हाथों में कुछ 'तीर्थ' भी होते हैं। चारों उंगलियों के सबसे आगे के भाग में 'देवतीर्थ', तर्जनी के मूल भाग में 'पितृतीर्थ', कनिष्ठा के मूल भाग में 'प्रजापतितीर्थ' और अंगूठे के मूल भाग में 'ब्रह्मतीर्थ' माना जाता है। इसी तरह दाहिने हाथ के बीच में 'अग्नितीर्थ' और बाएं हाथ के बीच में 'सोमतीर्थ' और उंगलियों के सभी पोरों और संधियों में 'ऋषितीर्थ' है। इनका दर्शन भी कल्याणकारी माना गया है सुबह उठकर हथेली दर्शन से इन सभी के दर्शन होते हैं।    

क्या है मंत्र


जब आप सुबह नींद से जागें तो अपनी हथेलियों को आपस में मिलाकर पुस्तक की तरह खोल लें और यह श्लोक पढ़ते हुए हथेलियों का दर्शन करें-


कराग्रे बसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती ।
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम ॥


अर्थात मेरे हाथ के अग्रभाग में भगवती लक्ष्मी का निवास है। मध्य भाग में विद्यादात्री सरस्वती और मूल भाग में भगवान विष्णु का निवास है। अतः प्रभातकाल में मैं इनका दर्शन करता हूं। इस श्लोक में धन की देवी लक्ष्मी, विद्या की देवी सरस्वती और अपार शक्ति के दाता, सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की स्तुति की गई है,ताकि जीवन में धन,विद्या और भगवत कृपा की प्राप्ति हो सके।


कर्म की भावना है निहित


हथेलियों के दर्शन का मूल भाव यही है कि हम अपने कर्म पर विश्वास करें। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ऐसे कर्म करें जिससे जीवन में धन,सुख और ज्ञान प्राप्त कर सकें। हमारे हाथों से कोई बुरा काम न हो एवं दूसरों की मदद के लिए हमेशा हाथ आगे बढ़ें। कर दर्शन का दूसरा पहलू यह भी है कि हमारी वृतियां भगवत चिंतन की ओर प्रवृत हों ऐसा करने से शुद्ध सात्विक कार्य करने की प्रेरणा मिलती हैं,साथ ही पराश्रित न रहकर अपनी मेहनत से जीविका कमाने की भावना भी पैदा होती है। 


 व्यक्ति पूरे विश्वास के साथ अपने हाथों को देखता है, तो उसे विश्वास हो जाता है कि उसके शुभ कर्मों में देवता भी सहायक होंगे और वह हर कार्य करने के लिए सकारात्मक कदम उठाता है।