भगवान श्रीराम से जुड़े हुए रोचक तथ्य, ऐसे हुआ था भगवान राम का नामकरण 
 

बचपन से ही हम सभी को रामायण की कहानियां सुनाई जाती है। इस काहानी को सुनाने के पीछे का कारण उसमें मौजूद भागवान राम है। प्रभु श्री राम के गुणों की जितनी व्याख्या की जाए कम है।
 

श्रीराम के जीवन से सीखें ये बातें

इन गुणों के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाते हैं राम

  इसीलिए सुनायी जाती हैं रामायण की कहानियां

 

बचपन से ही हम सभी को रामायण की कहानियां सुनाई जाती है। इस काहानी को सुनाने के पीछे का कारण उसमें मौजूद भागवान राम है। प्रभु श्री राम के गुणों की जितनी व्याख्या की जाए कम है। उन्होंने मर्यादाओं को हमेशा उच्च स्थान दिया है। इसलिए भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि वह बचपन से ही शांत स्वभाव के थे। वहीं भगवान राम ने 14 साल वनवास में काटने के बाद भी अपनी मर्यादा, दया, सत्य, करुणा और धर्म जैसे आचरण को नहीं त्यागा। यही कारण है कि, आज भी सभी को राम जी के गुणों को जीवन में उतारने की सलाह दी जाती है।


वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में प्रभु श्री राम के सभी संघर्षों का उल्लेख है। वह न केवल एक अच्छे पुत्र बल्कि एक भाई, राजा और पति हर रूप में पूर्ण है। हिंदू धर्म में प्रभु श्रीराम की पूजा आदर्श मानव जीवन के प्रतीक के रूप में की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं, आखिर उनका यह नाम कैसे पड़ा ? किसने उन्हे राम नाम दिया ? 


ऐसे रखा गया भगवान राम का नाम


भगवान राम को “राम” नाम रघुकुल के गुरु महर्षि वशिष्ठ ने दिया था। धार्मिक ग्रंथ के अनुसार, भगवान राम के जन्म के बाद उनका नाम दशरथ राघव रखा गया था और भगवान विष्णु का 394वां नाम राम है। गुरु वशिष्ठ के अनुसार, राम शब्द दो बीजाणुओं- अग्नि बीज और अमृत बीज से बना है। यह नाम मनुष्य के मन की आत्मा को शक्ति प्रदान करता है। इसके अलावा महर्षि वशिष्ठ ने भरत, शत्रुघ्न और लक्ष्मण का भी नामकरण किया था।


श्रीराम के जीवन से सीखें ये बातें

धैर्य और साहस


भगवान राम ने धैर्य और साहस से जीवन जीने का उदाहरण पेश किया है। उनके जीवन से पता चलता है कि व्यक्ति को हमेशा विपरीत परिस्थियों में संयम नहीं खोना चाहिए।

एक वचन


भगवान राम अपने वचन को निभाने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने हमेशा अपने वचन और कर्तव्यों का पालन किया है। इसलिए मनुष्य को अपने वचनों को सर्वोपरी रखना चाहिए, ताकि भगवान राम के और भी गुणों को जीवन में उतारा जा सके।

मित्रता


प्रभु श्री राम में जीवन में हर वर्ग और हर उम्र के लोगों के साथ मित्रता निभाई है। निषाद के साथ उनकी मित्रता मिसाल बन चुकी है।

सेवा भाव


भगवान राम ने वनवास के दौरान वनवासी लोगों के जीवन को सुधारने का कार्य भी किया है। हम सभी को इससे प्रेरित होकर जरूरतमंदो की सहायता करनी चाहिए।

भगवान श्रीराम से जुड़े हुए रोचक तथ्य


प्रभु श्री राम जी को भगवान विष्णु जी का सातवां अवतार माना गया है।
भगवान राम ने सूर्य पुत्र राजा इक्ष्वाकु वंश में जन्म लिया था। जिस कारण उन्हें सूर्यवंशी भी कहा जाता है।
रावण को हराने के लिए राम जी को देवराज इंद्र ने एक रथ दिया था, जिसपर बैठकर उन्होंनें रावण का वध किया था।


भगवान राम पूजा मंत्र


ऊं रामचंद्राय नमः
रां रामाय नमः
ऊं नमो भगवते रामचंद्राय